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जीएल बजाज एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस में ‘श्री राम महोत्सव’ का हुआ आयोजन,बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी, संत मैथिली शरण और कवि, गीतकार एवं संवाद लेखक मनोज मुन्ताशिर हुए शामिल

जीएल बजाज एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस में ‘श्री राम महोत्सव’ का हुआ आयोजन,

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी, संत मैथिली शरण और कवि, गीतकार एवं संवाद लेखक मनोज मुन्ताशिर हुए शामिल

शफी मौहम्मद सैफी

ग्रेटर नोएडा स्थित जीएल बजाज एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस में ‘श्री राम महोत्सव’ का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में राज्यसभा सांसद, बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं शिक्षाविद् सुधांशु त्रिवेदी, श्री रामकिनकर विचार मिशन के संस्थापक अध्यक्ष, संत मैथिली शरण और कवि, गीतकार एवं संवाद लेखक मनोज मुन्ताशिर उपस्थित रहे। इस मौके पर उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों का जीएल बजाज एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने भव्य स्वागत किया और अपने संस्थान को प्रभु श्री राम के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से अप्रत्यक्ष रूप से जोड़ा। उन्होंने कहा कि कलयुग में त्रेता युग की झलक पाना पौष के महीने में दीपावली मानना और राम लला का 500 साल बाद पुनः अयोध्या लौटना हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है। और ये सौभाग्य हमें ईश्वर की कृपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के निरंतर प्रयासों से मिला है। राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने इस खास मौके पर सभागार को संबोधित करते हुए कहा कि “महात्मा गांधी ने सोचा था कि भारत का शासन रामराज्य के आधार पर होना चाहिए। स्वाधीनता तो हमें 1947 में मिल गई थी पर स्वतंत्रता नहीं मिली थी। तंत्र में हमारा स्व का तत्व नहीं था आज उस स्व के तंत्र की प्राण -प्रतिष्ठा होने जा रही है। और भारत धर्म प्राण देश है इसकी यह मूल प्रवर्ती है। छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि गुलामी की सोंच से बाहर निकलकर अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व करें। देश के युवाओं को रामायण पढ़नी और उससे सीख लेनी चाहिए रामायण आपको जीवन के सत्य और त्याग का ज्ञान कराती है। हमारे भगवान सभी को प्यारे है जिनकों भारत ही नहीं विश्व के बहुत सारे देशों में माना और पूजा जाता है इंडोनेसिया से लेकर हिंडौरास तक राम का गुणगान किया जाता है। विशेष आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि आज से उत्सव शुरू हो गया है हम उसमें अप्रत्यक्ष रूप में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें और मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के आदर्शों को अपने आचरण में अपने परिवार में समाज में स्थापित करें और बच्चों को अवश्य समझाएं। क्योंकि तुलसीदास ने भी कहा है ‘रामचरितमानस’ तो राम के चरित्र को मानस में धारण करने की आवश्यकता है। और पीएम मोदी जी के नेतृत्व में भारत महान बनने की दिशा में अग्रसर हो चुका है और आगामी 22 जनवरी को ‘राम की नगरी’ अयोध्या धाम में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की भव्य प्राण- प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन होना है। आराध्य प्रभु के आगमन को लेकर पूरा विश्व इन दिनों राममय है। महोत्सव के दूसरेे सत्र में सनातन संस्कृति और श्रीराम पर संत मैथली शरण जी ने विस्तृत व्याख्यान दिया उन्होंने कहा की सनातन का तात्पर्य है जो पहले भी था आज भी है और कल भी रहेगा। वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी और आकाश सनातन है उन्होंने कहा की राम में मर्यादा का सार है और कृष्ण में संहार की मर्यादा उन्होंने भगवान राम की मर्यादा के सार को समझाते हुए कहा की अपने जीवन में माता सीता और लक्ष्मण के आदर्शो को ग्रहण करना चाहिए। अंत में मनोज मुन्तशिर ने अपने भक्तिमयी शब्दों से सभागार में जोश भर दिया उन्होंने कहा कि जिस देश में श्री राम का उत्सव मानाने के लिए इतने लोग इकठ्ठा हो जाए वो भारत ही हो सकता है इस देश को जवान और किसान सींचते है और मेरा सारा अर्जित सम्मान ये दोनों ही है हमने आकाश में उड़ना सीख लिया लेकिन हमें धरती पर रहना केवल श्री राम ही सीखा सकते है उन्होंने छात्रों से कहा कि हमने कलाई पर महंगी घड़ी तो बाँध ली लेकिन अपनों के लिए ही समय नहीं है हम लोग दिखावा ज्यादा करते है लेकिन घर परिवार और दोस्तों को खोते जा रहे है। हमारे जीवन के इस खाली पन को भरने के लिए श्री राम के आदर्शो की जरुरत है। उन्होंने राम के जीवन चरित्र का विस्तृत वर्णन किया जिस पर छात्र भाव विभोर हो गए। कहा कि देश का सम्मान हमारा सम्मान है। जो राम और उसकी धरती को समझ ही नहीं पाए उन्हें बताना चाहता हूँ की हम ही वो है जो एक बाण मारकर धरती से पानी निकाल लेते थे और पत्थर के टुकड़ो से समुन्दर पर सेतु बना देते थे। राम प्राण प्रतिष्ठा के बारे में कहा कि ये 22 तारीख हमें बड़े बलिदानो के बाद मिली है इसलिए उन बलिदानियों के प्रति सम्मान बनाए रखियेगा। उनके डायलॉग से छात्रों में जोश भर गया और पूरा सभागार जय श्री राम के जयघोष से गुंजायमान हो गया। इस मौके पर संस्थान के छात्र–छात्राओं एवं विशेष आमंत्रित गणमान्यों में उत्साह एवं जोश देखने लायक था।

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