फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग द्वारा चिकित्सा अधिकारियों के लिए मेडिकोलीगल मुद्दों पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला
फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग द्वारा चिकित्सा अधिकारियों के लिए मेडिकोलीगल मुद्दों पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला
ग्रेटर नोएडा।फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग, GIMS के तत्वावधान में चिकित्सा अधिकारियों के लिए मेडिकोलीगल विषयों पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य चिकित्सा अधिकारियों को न्यायिक एवं कानूनी प्रक्रियाओं में उनके कर्तव्यों एवं जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करना था।कार्यशाला में जिले एवं समीपवर्ती क्षेत्रों से आए लगभग 35 चिकित्सा अधिकारियों ने भाग लिया। फॉरेंसिक मेडिसिन के विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभागियों को पोस्टमार्टम प्रक्रिया, मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया, घावों का मूल्यांकन, पुलिस केस से संबंधित रिपोर्टिंग तथा न्यायालय में चिकित्सकों की भूमिका जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर व्यावहारिक जानकारी प्रदान की गई।
डॉ राकेश गुप्ता निदेशक GIMS ने कहा कि “मेडिकोलीगल मामलों में चिकित्सकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, और उनकी सटीक रिपोर्ट न्यायिक निर्णयों को प्रभावित करती है। इस प्रकार की कार्यशालाएं चिकित्सकों को कानूनी एवं नैतिक जिम्मेदारियों के प्रति सजग बनाती हैं।”
विद्यानाथ शुक्ल, मुख्य विकास अधिकारी गौतम बुद्ध नगर, कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। शुक्ल ने कहा की चिकित्सा-कानूनी कार्य चिकित्सा और कानून के बीच की खाई को पाटता है, सटीक चिकित्सा साक्ष्य के माध्यम से न्याय सुनिश्चित करता है। समय पर और नैतिक चिकित्सा-कानूनी अभ्यास निष्पक्ष कानूनी कार्यवाही का समर्थन करते हैं और कानूनी और स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों दोनों में जनता का विश्वास बनाए रखते हैं
डॉ अमित शर्मा , विभागाध्यक्ष ,फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग ने चिकित्सा अधिकारियों द्वारा न्यायालयीन कार्यवाही में भाग लेने के विषय पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में चिकित्सकों को कानूनी जानकारी से सुसज्जित होना अत्यंत आवश्यक है, ताकि न्यायिक प्रक्रिया में उनकी भूमिका प्रभावी और सटीक हो।अन्य वक्ताओं में डॉ अंजू रानी, डॉ मिथुन घोष, डॉ रिचा गुप्ता, डॉ वेदांत, डॉ पूजा रस्तोगी, राजेंद्र और डॉ सोनल सिंह शामिल थे जिन्होंने मेडिको लीगल रिपोर्ट बनाने के विभिन्न व्यावहारिक पहलुओं पर चर्चा की। ने मेडिकोलीगल रिपोर्टिंग के कानूनी पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यशाला दिवस के समापन पर विभाग की ओर से भविष्य में इस प्रकार की और भी प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित करने की योजना की घोषणा की गई।