फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा में माइग्रेन एंड एपिलेप्सी क्लिनिक की हुई शुरुआत
फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा में माइग्रेन एंड एपिलेप्सी क्लिनिक की हुई शुरुआत
शफी मौहम्मद सैफी
ग्रेटर नोएडा। भारत में लगभग 30 फीसदी आबादी माइग्रेन से पीड़ित है, यानी हर तीसरा व्यक्ति माइग्रेन का शिकार है। माइग्रेन एक आम सिरदर्द माना जाता है, लेकिन यह जीवन की गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव छोड़ता है। इसी के मद्देनजर फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा ने माइग्रेन एंड एपिलेप्सी क्लिनिक की शुरुआत की है। इस क्लिनिक का उद्देश्य इन स्थितियों से जूझ रहे लोगों को बेहतर देखभाल प्रदान करना और उनकी जीवनशैली में सुधार लाना है।डॉ. आतमप्रीत सिंह, डायरेक्टर न्यूरोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा के अनुसार, “माइग्रेन किसी को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह 15 से 45 आयु वर्ग के लोगों और हार्मोनल परिवर्तन के कारण प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं में अधिक आम है। माइग्रेन दैनिक जीवन को बाधित कर सकता है, खासकर युवा वयस्कों, कामकाजी लोगों, स्कूली बच्चों और गृहिणियों के लिए। वहीं एपिलेप्सी (मिर्गी) के दौरे आना एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जो दैनिक जीवन में काफी व्यवधान डाल सकती है। माइग्रेन से केवल दैनिक दिनचर्या ही नहीं बल्कि इससे संबंध और रिश्ते तक प्रभावित होते हैं।”डॉ. चिराग गुप्ता, वरिष्ठ सलाहकार न्यूरोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा के अनुसार, “यदि हम सामान्य जनसंख्या में मिर्गी की व्यापकता के बारे में बात करें, तो यह लगभग हर सौ लोगों में से एक व्यक्ति को प्रभावित करती है। मिर्गी छोटे बच्चों और बुजुर्गों में अधिक आम है। बच्चों में इसके कारण अक्सर जन्म के समय की चोटें या ऑक्सीजन की कमी से मस्तिष्क को होने वाला नुकसान होते हैं। बुजुर्गों में, स्ट्रोक मिर्गी का एक सामान्य कारण है। हालांकि, मिर्गी किसी भी उम्र में हो सकती है। मिर्गी के रोगियों के लिए प्रारंभिक निदान और उपचार बहुत महत्वपूर्ण हैं। जितने अधिक दौरे होंगे, मस्तिष्क को उतना ही अधिक नुकसान और संज्ञानात्मक हानि का जोखिम बढ़ जाता है। प्रारंभिक स्तर पर एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं दौरे को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं।माइग्रेन एंड एपिलेप्सी क्लिनिक रोगियों को व्यापक देखभाल प्रदान करेगा, जिसमें विस्तृत इतिहास लेना, शारीरिक परीक्षण करना और जरूरत पड़ने पर मस्तिष्क का एमआरआई या अन्य जांच शामिल हैं। क्लिनिक में विशेषज्ञ माइग्रेन और मिर्गी रोधी दवाओं सहित नवीनतम उपचारों का उपयोग करेंगे। क्लिनिक का लक्ष्य माइग्रेन और मिर्गी का इलाज करने के साथ ही रोगियों को जीवनशैली में बदलाव और आहार संबंधी सलाह देकर इन स्थितियों को लंबे समय तक प्रबंधित करने में भी उनकी मदद करना है। डॉ. प्रवीण कुमार, सीईओ, फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा ने कहा, ” माइग्रेन एंड एपिलेप्सी क्लिनिक रोगियों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह क्लिनिक मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए समर्पित है। हम इस क्षेत्र में नवीनतम उपचारों और प्रबंधन तकनीकों को लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
माइग्रेन के उपचार में निरवियो डिवाइस और स्कैल्प में बोटोक्स इंजेक्शन भी इलाज में उपयोगी
प्रारंभिक निदान और उचित उपचार से रोगियों की जीवन गुणवत्ता में सुधार होता है।माइग्रेन के उपचार में नवीनतम प्रगति के रूप में निरवियो डिवाइस और स्कैल्प में बोटोक्स इंजेक्शन जैसे उपाय भी अब मौजूद हैं। ये विधियाँ बिना दवाओं के प्रभावी राहत प्रदान कर सकती हैं।
मिर्गी के उपचार में हाल के उन्नतियों में शामिल हैं, ईईजी कभी-कभी कुछ मिर्गी के दौरे में व्यक्ति को कोई शारीरिक लक्षण नहीं होते। ऐसे मामलों में व्यक्ति हल्के भ्रम या किसी चीज़ को लगातार घूरते हुए दिख सकता है। ऐसे स्थिति में ईईजी (इलेक्ट्रोएन्सेफालोग्राम) बहुत फायदेमंद होता है। माइग्रेन और मिर्गी के प्रबंधन में जीवनशैली और आहार का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इन कारकों पर ध्यान देकर इस रोग को नियंत्रित करना आसान हो जाता है।