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वसुधा वधावन ने बनाए स्ट्रीट डॉग्स के लिए रैनबसेरे, रंग ला रही जानवरों के प्रति संवेदनशील बनाने की मुहिम

वसुधा वधावन ने बनाए स्ट्रीट डॉग्स के लिए रैनबसेरे, रंग ला रही जानवरों के प्रति संवेदनशील बनाने की मुहिम

यमुना विकास प्राधिकरण सेक्टर 22 डी में ठंड के मौसम में घर के इन रखवालों के लिए घर बना रहे हैं घर, मुहिम का मकसद लोगों को जानवरों के प्रति संवेदनशील बनाना

ग्रेटर नोएडा। यमुना विकास प्राधिकरण क्षेत्र 22 डी में आठ हजार फ्लैट बनाए गए हैं। जहां वर्षों से सैकड़ों परिवार निवास कर रहे हैं। यहां के निवासीगण लगातार सफाई व्यवस्था के साथ सुरक्षा पानी आदि मूलभूत सुविधाओं को लेकर प्राधिकरण से मांग करते चल आ रहे हैं। पानी की टंकियां टूटी हुई है। कूड़ेदान से समय से कूड़े नहीं उठाए जाने पर गंदगी का अंबार लगा रहता है। आस-पास झाड़ियों से विषैले कीड़े मकोड़ों निकल कर आवास में घुस जाते हैं। आवारा पशुओं से परेशानी होती है। जिनके खाने-पीने रहने के लिए सेक्टर वासियों को इंतजाम करना पड़ रहा है।

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पुरानी मेज के नीचे बोरियां बिछाईं। उसके ऊपर पुरानी चादर इस तरह से डाली कि नीचे तक पूरी तरह से ढक जाए। चादर उड़े नहीं… इसके लिए टेबल पर चारों तरफ कील ठोंक दी और उसके ऊपर डाल दी पॉलीथीन। बस इतना करके स्ट्रीट डॉग्स और पपीज के रहने का इंतजाम हो गया। इन मामूली तरीकों का इस्तेमाल कर वसुधा वधावन ठंड के मौसम में घर के इन रखवालों के लिए घर बना रही हैं।

अभियान की संचालिका वसुधा वधावन के मुताबिक, इसका मकसद सेक्टर 22 डी वासियों को संवेदनशील बनाना भी है। सेक्टर वाले आसपास के जीव-जंतुओं के प्रति प्रेम रखेंगे तो वे समाज के प्रति भी संवेदनशील होंगे और डॉग्स की वजह से घर भी सुरक्षित रहेंगे। समाजसेविका वसुधा वधावन बताती हैं कि वह अब तक सेक्टर के 40 लोगों को डॉग्स और पपीज के लिए घर बनाने का प्रशिक्षण दे चुकी हैं।उन्होंने बताया, ‘बड़ी बात यह है कि 100 से ज़्यादा लोग अपने मोहल्लों में डॉग्स के लिए जुगाड़ से घर बना चुके हैं। लोगों द्वारा इन घरों की तस्वीरें भी वसुधा वधावन को भेज रहे हैं। कुछ लोग ने प्लास्टिक, तो कुछ ने बांस की डंडियों और कुछ ने तो प्रचार होर्डिंग्स को तोड़कर ऐसे-ऐसे घरौंदे बनाए हैं, जिन्हें देखकर बड़े-बड़ों को हैरानी होती है।’ वसुधा वधावन के मुताबिक, लोगों को कबाड़ से घरौंदा बनाने की ट्रेनिंग देने के साथ हर मौसम के लिहाज से स्ट्रीट डॉग्स की जरूरत के बारे में भी बताया जाता है। ” यमुना विकास प्राधिकरण 22 डी सेक्टर में वन बीएचके 55 सौ फ्लैट बने हुए हैं। इसके पास टू बीएचके मिलाकर करीब आठ हजार फ्लैट हैं। सैकड़ों परिवार निवास कर रहे हैं। सुविधाओं का अभाव है। आवारा पशुओं की भरमार है। गंदगी, जलाभाव व शेल्टर होम नहीं होने के कारण पशु-पक्षियों को भीषण ठंड में परेशानी को देखते हुए। शेल्टर होम बनाने की जरूरत है। जिसके तहत लगातार यमुना विकास प्राधिकरण से मांग की जा रही है। जनसहयोग से पशु-पक्षियों खाने-पीने व रहने की कोशिश की जा रही है।

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