ठंड से ठिठुरते देखा तो छेड़ दी कपड़े दान करने की मुहिम,नवादा के हरेंद्र नागर उर्फ बबलू की टीम ने जरूरतमंदों को देने के लिए घर-घर से इकठ्ठा किए पुराने कपड़े।जरुरत मंदों को कपड़े बांटकर मनाई दीपावली पर्व ।
ठंड से ठिठुरते देखा तो छेड़ दी कपड़े दान करने की मुहिम,नवादा के हरेंद्र नागर उर्फ बबलू की टीम ने जरूरतमंदों को देने के लिए घर-घर से इकठ्ठा किए पुराने कपड़े।जरुरत मंदों को कपड़े बांटकर मनाई दीपावली पर्व ।
शफी मौहम्मद सैफी
बिलासपुर। रेलवे स्टेशन पर एक गरीब को सर्दी में ठिठुरते देखा तो उनसे रहा न गया। अपना स्वेटर उतार कर दे दिया। इसके बाद मजदूरों, गरीबों और बेसहारा लोगों को पुराने कपड़े दान करने की छेड़ दी मुहिम। काम अच्छा था, तो कई लोगों ने अपने यहां से पुराने कपड़े देकर सहयोग भी किया। 3 युवाओं की टीम भी साथ खड़ी हो गई।हम बात कर रहे हैं नवादा गांव के हरेंद्र नागर उर्फ बबलू की। जो अब तक दनकौर बिलासपुर मंडीश्यामनगर कासना आदि झुग्गी झोपड़ी जरूरतमंदों को सैकड़ों पुराने कपड़े बांट चुके हैं। हरेंद्र नागर का कहना है कि चार वर्ष पूर्व वह जरूरी काम से बाहर जा रहे थे। इसी दौरान उन्होंने दनकौर रेलवे स्टेशन पर एक गरीब को सर्दी में ठिठुरते देखा। वह बदन पर गर्म कपड़े नहीं पहने था। यह देखकर हरेंद्र ने अपना स्वेटर दे दिया। साथ ही जरुरतमंद गरीबों की मदद करने के लिए भी मन में ठान लिया। वह दिल्ली गए और 2 गठरी पुराने कपड़े खरीद कर ले आए। उन्होंने कई जगह बांटे। कपड़े कम थे और लोगों की संख्या अधिक। इसके लिए उन्होंने कस्बे व गांवों से लोगों के घरों से पुराने कपड़े सहयोग के रूप में लेने का सिलसिला शुरू किया। उन्होंने अपनी टीम भी बनाई। टीम ने भी अपने-अपने घरों और शुभचिंतकों से पुराने कपड़े लेकर गरीबों में बांटे। कभी-कभी गरीबों को भोजन आदि जरुरी सामग्रियों का भी वितरण किया।हरेंद्र नागर उर्फ बबलू का कहना है कि वह गरीब असहाय संस्था चलाते हैं। उन्होंने गरीबों को पुराने कपड़े बांटने के लिए अपनी टीम में सुनील सारस्वत, आदेश शर्मा, संजीव नागर आदि को शामिल किया है। उनका लक्ष्य इस सर्दी में एक हजार कपड़े बांटने का है। वह सरकार के सहारे नहीं हैं। व्यक्तिगत प्रयास से टीम के सहयोग से लोगों की मदद और सेवा कर रहे हैं।