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ग्रेटर नोएडा में सैंकड़ो गरीब बच्चों को शिक्षा दे रही हैं आंध्रप्रदेश की लक्ष्मी सूर्यकला, श्री बालाजी सेवा समिति वार्षिक महोत्सव में हुए कार्यक्रमों में साईं अक्षरधाम पाठशाला के छात्रों ने जीते पुरस्कार

ग्रेटर नोएडा में सैंकड़ो गरीब बच्चों को शिक्षा दे रही हैं आंध्रप्रदेश की लक्ष्मी सूर्यकला, श्री बालाजी सेवा समिति वार्षिक महोत्सव में हुए कार्यक्रमों में साईं अक्षरधाम पाठशाला के छात्रों ने जीते पुरस्कार

शफी मौहम्मद सैफी

ग्रेटर नोएडा। एक ऐसी शिक्षिका की, जो दक्षिण से आकर उत्तर में ज्ञान की रोशनी बन गई हैं उन बच्चों के लिए, जिनकी जिंदगी में कुछ भी नहीं है. जिंदगी जीने की भाषा सिखा रही ये हैं अंबाडीपूड़ी लक्ष्मी सूर्यकला गरीब बच्चों की जिंदगी को रोशन कर रही हैं इनकी पाठशाला में पढ़ने वाले बच्चों में नो जीएनआईओटी में हुए कार्यक्रम में बेहतरीन प्रदर्शन किया और पुरस्कार जीते जिसकी चारों तरफ प्रशंसा हो रही है प्रिया को एकल गीत में द्वितीय, रिंकी एकल नृत्य में प्रथम, खुशी एकल नृत्य में द्वितीय व ग्रुप डांस में प्रथम स्थान, ग्रुप भजन में द्वितीय, सनातन को जाने में चौथा स्थान प्राप्त किया इसके बाद साई पाठशाला में उन्हें सम्मानित किया गया।आंध्र प्रदेश की लक्ष्मी अब दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में उन गरीब बच्चों की जिंदगी को रोशन कर रही हैं, जो मंदिर के आसपास खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. करीब दो दशक से लक्ष्मी वैसे माता-पिता के भी सपनों को साकार करने में जुटी हैं, जो भीख मांगकर अपने बच्चों का पालन पोषण करते हैं। लक्ष्मी ने कैंब्रिज स्कूल का ऑफर ठुकराया, अंबाडीपूड़ी लक्ष्मी सूर्यकला डीपीएस जैसे बड़े स्कूल में पढ़ा चुकी हैं. कई अंग्रेजी स्कूलों से उन्हें मोटी रकम पर पढ़ाने का ऑफर है. केम्ब्रिज स्कूल का ऑफर भी था, पर सबको ठुकराकर अपनी जिंदगी का एक ही मकसद बनाया,गरीब बच्चों के ख्वाबों को पंख लगाने का. जब लक्ष्मी जैसा गुरु हो,तो बच्चों के अरमान क्यों न मचलें..किसी शायर ने कहा है

अपने लिए जिए तो क्या जिए

तू जी..ऐ दिल, जमाने के लिए

इस बारे में लक्ष्मी सूर्यकला ने बताया कि

उन्होंने जब गरीब बच्चों को भीख मांगते देखा, तो उसका मन बदल गया और उन्होंने उन गरीब बच्चों के भविष्य सुधारने के लिए मुहिम चला दी. शुरुआत 2017 में 12 बच्चों को पढ़ाने से की थी. अब तक सैकड़ों बच्चों का जीवन संवार चुकी हैं. जो बच्चे कल तक मंदिर के बाहर भीख मांगते थे, गलियों में दौड़ते- फिरते थे या कूडा-कचरा चूनते थे, आज हिंदी-अंग्रेजी में कविताएं पढ़ते हैं. जोड़-घटाव और गुणा-भाग के अलावा अखबार भी पढ़ते हैं. यह सब संभव हुआ लक्ष्मी के प्रयास से वर्तमान में लक्ष्मी ग्रेटर नोएडा के सेक्टर डेल्टा 3 के साई मंदिर में बच्चों को मुफ्त शिक्षा देकर उनका जीवन सवार रही हैं.”बच्चों को भीख मांगते देखा तो बदला मन: लक्ष्मी ने बताया कि उन्होंने जब गरीब बच्चों को भीख मांगते देखा, तो उसका मन बदल गया और उन्होंने उन गरीब बच्चों के भविष्य सुधारने के लिए मुहिम चला दी. शुरुआत 2017 में 12 बच्चों को पढ़ाने से की थी. अब तक सैकड़ों बच्चों का जीवन संवार चुकी हैं. जो बच्चे कल तक मंदिर के बाहर भीख मांगते थे, गलियों में दौड़ते- फिरते थे या कूडा-कचरा चूनते थे, आज हिंदी-अंग्रेजी में कविताएं पढ़ते हैं. जोड़-घटाव और गुणा-भाग के अलावा अखबार भी पढ़ते हैं. यह सब संभव हुआ लक्ष्मी के प्रयास से. वर्तमान में लक्ष्मी ग्रेटर नोएडा के सेक्टर डेल्टा 3 के साई मंदिर में बच्चों को मुफ्त शिक्षा देकर उनका जीवन सवार रही हैं. लक्ष्मी बताती हैं कि उन्होंने अकेले गरीब बच्चों को शिक्षा देने की शुरुआत की थी। वर्तमान में उनके अलावा सात अन्य शिक्षिकाएं उनके इस अभियान से जुड़ चुकी हैं, जिनमें से दो महिलाओं को वह सैलरी देती है. जबकि अन्य महिलाएं स्वयं उनके इस निःशुल्क शिक्षा में सहयोग करती हैं लक्ष्मी का कहना है कि जब तक सांस है, तब तक उनका यह अभियान जारी रहेगा।

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