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अगर पल-पल बदलता है आपका मूड ? कहीं आप इस मानसिक बीमारी का शिकार तो नहीं, जानें एक्सपर्ट डॉक्टर अनीता शर्मा से
अगर पल-पल बदलता है आपका मूड ? कहीं आप इस मानसिक बीमारी का शिकार तो नहीं, जानें एक्सपर्ट डॉ.अनीता शर्मा से
शफी मौहम्मद सैफी
ग्रेटर नोएडा। आपने कई लोगों को देखा होगा जिनका मूड पल-पल में बदलता रहता है कई बार ये लोग अपने रिलेशनशिप को लेकर आश्वस्त होते हैं तो अगले ही पल उन्हें इसे लेकर संदेह पैदा हो जाता है, जिससे उनके व्यवहार में भी लगातार परिवर्तन आते रहते हैं. ये एक मानसिक विकार का लक्षण हो सकता है।कई लोगों को आपने देखा होगा की उनका मूड थोड़ी-थोड़ी देर में बदलता है. वो किसी छोटी सी भी समस्या को पहाड़ बना देते है या हर चीज को लेकर उन्हें इनसिक्योरिटी रहती है, तो इसे बिल्कुल भी हल्के में नही लेना चाहिए क्योंकि ये एक मानसिक बीमारी की निशानी है इसको मेडिकल की भाषा में बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर कहते हैं. ये बीमारी बढ़ती उम्र के साथ होती है और इसका कारण ब्रेन फंक्शन पर पड़ा हुआ असर होता है. ये बीमारी मेंटल हेल्थ को बुरी तरह प्रभावित करती है इस बारे में ग्रेटर नोएडा के बीटा सेक्टर में अपना क्लीनिक चला रही मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अनीता शर्मा बताती हैं कि बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी है अधिकतर मामलों में इसके शुरुआती लक्षणों की पहचान नहीं हो पाती है,लेकिन अगर किसी व्यक्ति को अचानक मूड में बदलाव, छोटी-छोटी बातों को सुलझाने में परेशानी जैसे लक्षण दिखते हैं तो मनोरोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर अनीता शर्मा के मुताबिक बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर मेंटल हेल्थ इश्यूज में एक कल्सटर बी पर्सनैलिटी में गिना जाता है. जिन लोगों को ये डिसऑर्डर होता है उनमें मेंटल और इमोशनल कुछ थोट पैटर्न रहते है जिसकी वजह से वो अलग बिहेव करते हैं इस डिसऑर्डर से ग्रस्त इंसान को हमेशा डर रहता है कि वो जिसको प्यार या लगाव करता है वो उसको छोड़ कर चला जाएगा, जिसकी वजह से इनके रिलेशन में काफी इंनस्टेबिलिटी रहती है कभी वो अपने पार्टनर पर पूरा विश्वास करता है अगले ही पल उसको लगता है कि ये उसको छोड़ कर चला जाएगा जिसकी वजह से उनका रिलेशनशिप डिस्टर्ब रहता है इस डिसऑर्डर से ग्रस्त व्यक्ति का खुद को लेकर भी विचार बदलते रहते है कभी उनको लगता है वो सबसे अच्छे है, कभी उनको लगता है कि उसे बुरा इंसान कोई नहीं है. यही विचार उनके व्यवहार पर भी असर डालते है।इस इंसान का मूड लगातार बदलता रहता है, कभी अग्रसेन आता है, कभी सुसाइड करने का मन करता है इस डिसऑर्डर से पीड़ित इंसान को गुस्सा भी जाता आता है जिससे कई बार ये खुद को नुकसान भी पहुंचा देती है।ये लोग खुद को अकेला महसूस करते हैं और इससे भी उनमें इंसिक्योरिटी की भावना बढ़ती है. जिन बातों का कोई वास्तविकता भी नही होती ये लोग ऐसी बातें भी सोचकर परेशान होते है।डॉ अनीता शर्मा कहती हैं कि 5.9 फीसदी लोग इस बीमारी के शिकार है जिनमें ज्यादातर महिलाएं है. जिनमें 20 फीसदी लोग अस्पताल में इलाज के लिए आते है. ये काफी सामान्य समस्या है जिसको समझना और पहचानना सामान्य लोगों के लिए थोड़ा मुश्किल है. ऐसे में लोगों को सलाह है कि इस बीमारी के लक्षण दिखने पर मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लें. दवा और थेरेपी इस बीमारी को कंट्रोल किया जाता है.