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लॉयड स्किल सेंटर के द्वारा ड्रोन टेक्नोलॉजी के बारे में की चर्चा, लॉयड इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर राजीव अग्रवाल और प्रमुख डॉक्टर मनीष सारस्वत ने आज के परिवेश में ड्रोन के महत्व के बारे में दी जानकारी।

लॉयड स्किल सेंटर के द्वारा ड्रोन टेक्नोलॉजी के बारे में की चर्चा, लॉयड इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर राजीव अग्रवाल और प्रमुख डॉक्टर मनीष सारस्वत ने आज के परिवेश में ड्रोन के महत्व के बारे में दी जानकारी।

शफी मौहम्मद सैफी

ग्रेटर नोएडा। प्रयागराज के आईआईआईटी इलाहाबाद कॉलेज में लॉयड स्किल सेंटर के द्वारा ड्रोन टेक्नोलॉजी के बारे में चर्चा की गई। ड्रोन टेक्नोलॉजी की उपयोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी लॉयड इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर राजीव अग्रवाल और प्रमुख डॉक्टर मनीष सारस्वत के द्वारा साझा किया गया। कार्यक्रम में लॉयड स्किल सेंटर से आए वक्ताओं के द्वारा बताया गया कि आज के परिवेश में ड्रोन का क्या महत्व है साथ ही विस्तार से बताया गया कि ड्रोन को तैयार कैसे किया जाता है, ड्रोन के विभिन्न आकार जो अलग-अलग परिस्थितियों में जरूरत के अनुसार कार्य करती है ,उसके बारे में भी बताया गया। ड्रोन के अलग-अलग कंपोनेंट्स के बारे में बताया गया जिसमें कंपोनेंट्स किस तरीके से छात्रों के द्वारा बनाया जा सकता है इसके बारे में भी जानकारी साझा किया गया। ड्रोन में इस्तेमाल किए जाने वाले बैटरी गुणवत्ता क्या है और बेहतर बैटरी लाइफ के लिए क्या पैरामीटर होना चाहिए इसके बारे में बताया गया, ड्रोन के फ्लाइंग टाइम को किस तरीके से बढ़ाया जाए ,इसकी क्या तकनीक है इसके बारे में भी चर्चा किया गया.

ड्रोन में उपयोग किये जा रहे हैं विभिन्न हिस्सों के बारे में बताया गया जैसे की स्पीड कंट्रोलर डायनेमिक स्टेबिलिटी के लिए आप किस तरीके के कंपोनेंट का उपयोग करेंगे । जब आप मोटर का इस्तेमाल ड्रोन में कर रहे हैं तो उसकी क्षमता को किस तरीके से आप माप सकते हैं ,जो समीकरण ड्रोन तकनीक को सुचारू तरीके से संचालित करने के लिए उपयोगी हैं उसके बारे में भी बताया गया। ड्रोन टेक्नोलॉजी के दैनिक जीवन में विभिन्न क्षेत्रों में क्या उपयोगिता है इसके बारे में बताया गया, आज एरियल फोटोग्राफी डिलीवरी, जियो मैपिंग, डिजास्टर मैनेजमेंट, एग्रीकल्चर, मौसम पूर्वानुमान सहित मनोरंजन के क्षेत्र में ड्रोन तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। दक्षिण भारत और पंजाब के कुछ क्षेत्र ड्रोन तकनीक के लिए उदाहरण है जहां इसके इस्तेमाल से कृषि के क्षेत्र में बेहतर कार्य किया जा रहे हैं। किसानों की फसल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा रहा है। ड्रोन तकनीक चुनौतियों के बारे में भी चर्चा किया गया, जैसे प्राइवेसी और सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है , बैटरी की क्षमता और फ्लाइट रेंज एक बड़ी चुनौती है, इसके अलावा मौसम और पर्यावरण की विभिन्न परिस्थितियां भी बड़ी चुनौती हैं.वैधानिक जरूरत के बारे में छात्रों को जागरूक किया गया। जिसमें बताया गया कि आपको ड्रोन उड़ने के लिए तीन अलग अलग जोन बनाए गए हैं।आपको ड्रोन उड़ने से पहले स्पष्ट होना चाहिए कि आप किस जोन में अपने ड्रोन को उड़ा रहे हैं। आपको ड्रोन उड़ने के लिए सरकार की संस्थान जो ड्रोन तकनीक से संबंधित है ,उससे आपको मान्यता प्राप्त करना होगा। ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल किया जा रहा है। विभिन्न कॉम्पोनेंट्स के लिए हमें दूसरे देशों पर निर्भर होना पड़ रहा है जो की एक चुनौती है। लॉयड इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर राजीव अग्रवाल ने बताया कि आने वाले भविष्य में जब हम ड्रोन का बड़े पैमाने पर उत्पादन करेंगे तब इसकी कीमत भी कम होगी और एक क्रांतिकारी बदलाव कृषि क्षेत्र और अन्य क्षेत्र जैसे कि प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ में आए लाखों लोगों का मॉनिटरिंग करना भी आसान होगा.

 

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