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60 वर्षीय सरदार सिंह ने जीती कैंसर से जंग,स्टेज 4 कैंसर को दी मात , कैंसर रोगियों के लिए जगाई उम्मीद की नई किरण।

60 वर्षीय सरदार सिंह ने जीती कैंसर से जंग,स्टेज 4 कैंसर को दी मात , कैंसर रोगियों के लिए जगाई उम्मीद की नई किरण।

ग्रेटर नोएडा। गाज़ीपुर के रहने वाले 60 वर्षीय सरदार सिंह यादव स्टेज 4 कैंसर को मात देकर उन कैंसर रोगियों के लिए उम्मीद की कारण जगाई है। सरदार सिंह बोन बोन मैरो में हॉजकिन लिम्फ़ोमा कैंसर से जूझ रहे थे। सही जांच और इलाज के बाद अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं। उनका इलाज फोर्टिस- ग्रेटर नोएडा में चला, जहां के लिए यह केस चिकित्सीय समर्पण और कुशलता की एक मिसाल है। इस केस से ये पता चलता है कि एडवांस स्टेज के कैंसर का उपचार संभव है।
सरदार सिंह पिछले 6 महीनों से बुखार, कमजोरी और शरीर में दर्द से गुजर रहे थे, इस दौरान कई डाक्टरों को उन्होंने दिखाया लेकिन कई जांच और इलाज के बाद भी उनको राहत नहीं मिली इसके बाद वो फोर्टिस ग्रेटर नोएडा इलाज के लिए पहुंचे। यादव जब यहाँ आए तब वह कई लिम्फ़ नोड्स में सूजन और प्लेटलेट्स में ख़तरनाक स्तर की कमी से जूझ रहे थे। लिम्फ़ नोड्स बायोप्सी से कोई सटीक नतीजे नहीं मिलने के बावजूद फ़ोर्टिस ग्रेटर नोएटा की मेडिकल ऑन्कोलॉजी टीम ने बोन मैरो की जाँच की। आमतौर पर हॉजकिन लिम्फ़ोमा और डीएलबीसीएल (सबसे सामान्य प्रकार के नॉन-हॉजकिन लिम्फ़ोमा) के मामलों में, पीईटी-सीटी रिपोर्ट के आधार पर बोन मैरो की जाँच से बचा जा सकता है। अगर पीईटी-सीटी रिपोर्ट में बोन मैरो में कैंसर दिखे तो आगे बायोप्सी की ज़रूरत ही नहीं होती और अगर पीईटी-सीटी रिपोर्ट में बोन मैरो सुरक्षित है तो बिना बायोप्सी के ही बोन मैरो को सुरक्षित माना जाता है, लेकिन जांच में नतीजे नहीं आने की वजह से चिकित्सकों की टीम ने जांच के अगले स्तर पर ले जाना उचित समझा। जिसमें जाकर कैंसर की पुष्टि हुई।फोर्टिस ग्रेटर नोएडा में एसोसिएट कंसल्टेंट ऑन्कोलॉजी, डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा, ”स्टेज 4 में बोन मैरो के कैंसर के साथ हॉजकिन लिम्फोमा बहुत आम है, लेकिन यादव के केस में यह असामान्य और आक्रामक रूप में मौजूद था। सीएचएल यानी क्लासिकल हॉजकिन लिम्फ़ोमा से आमतौर पर युवा प्रभावित होते हैं, लेकिन यादव जैसे बुजुर्ग मरीजों में स्वास्थ्य से सम्बंधित अन्य समस्याओं की वजह से हॉजकिन लिम्फ़ोमा के केस की जटिलताएँ बढ़ जाती हैं। बोन मैरो में हॉजकिन लिम्फ़ोमा कैंसर होने का मतलब है कि कैंसर लिम्फ नोड्स से बाहर फैल चुका है, जिससे थकान, खून की कमी, और संक्रमण की संवेदनशीलता का बढ़ना जैसे गम्भीर लक्षण पैदा होते हैं।”फोर्टिस ग्रेटर नोएडा की मेडिकल ऑन्कोलॉजी कंसल्टेंट, डॉ. सरिका बंसल ने बताया कि यादव ने यहां इलाज शुरू कराने से पहले अन्य कई प्रतिष्ठित अस्पतालों में परामर्श लिया था, लेकिन कोई जाँच रिपोर्ट ऐसी नहीं थी जिससे सही नतीजे पर पहुँचा जा सके। इस केस से पता चलता है कि अगर लक्षण साफ़ न हों तो स्टैण्डर्ड प्रोसीजर से आगे बढ़कर जाँच के तरीक़ों का इस्तेमाल कितना ज़रूरी हो जाता है। बोन मैरो की जांच से हमें यादव की स्थिति की सटीक जाँच और फिर उसके हिसाब से इलाज करने में मदद मिली, जिससे हमें सही नतीजे मिले।”जाँच के नतीजों के बाद, मेडिकल ऑन्कोलॉजी टीम ने एक उपचार के लिए एक विस्तृत योजना बनाई, जिसमें सभी ऐसी जटिलताओं को ध्यान में रखा गया जिनके होने की सम्भावना थी। इसमें एक बड़ा ख़तरा माइलोसप्रेशन का होता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें बोन मैरो की गतिविधियाँ कम हो जाती हैं, जिससे संक्रमण और रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है। मार्च में यादव की पहली कीमोथेरेपी शुरू की गई और उनको लगातार मॉनिटर किया गया। प्लेटलेट्स के लिए कई ट्रांसफ्यूजन किए गए और एंटीबायोटिक्स के ज़रिए संक्रमण से बचाव की व्यवस्था की गई। यादव के साथ कीमोथेरेपी के कुल छह साइकल पूरे किए गए। दो साइकल के बाद हुए पीईटी-सीटी स्कैन में थोड़ा सुधार दिखाई दिया और चार साइकल के बाद हुई जाँच में बोन मैरो में एक भी असामान्य सेल नहीं पाई गई। उनकी पूरी रिकवरी हो चुकी है और वे अब हर महीने फॉलो-अप के लिए अस्पताल आते हैं।
उपचार के दौरान सरदार सिंह यादव ने कहा, “मैं अपने डॉक्टरों, अस्पताल के मेडिकल स्टाफ का बहुत आभारी हूँ, जो हर क़दम पर मेरे साथ रहे। एक वक़्त था जब लगा था कि मैं ज़िंदगी की ये जंग हार जाऊँगा, लेकिन उनके समर्पण और विशेषज्ञता ने मुझे हर समय पर आगे बढते रहने की हिम्मत दी। यह सफर आसान नहीं था, लेकिन सटीक इलाज, उम्मीद और आत्मविश्वास के साथ हमने इस मुश्किल को हराने में कामयाबी पाई। मैं चाहता हूँ कि मेरी यह यात्रा अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बने और उन्हें यह विश्वास हो कि चिकित्सा की शक्ति से हम किसी भी चुनौती पर जीत हासिल कर सकते हैं।”फोर्टिस ग्रेटर नोएडा के सीईओ, डॉ. प्रवीण कुमार ने बताया, “ हम उन्नत चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और मरीजों की देखभाल में लगातार बेहतर करते रहने की हमारी कोशिश हमें सफलता दिलाती है। हमें मालूम है कि मुश्किल से मुश्किल केस में समय पर जाँच और सही उपचार बहुत ज़रूरी है और हमारी टीम की यह कोशिश हमारे अस्पताल की इस प्रतिबद्धता का प्रमाण है कि हम मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं।”

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