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चौधरी वेदराम नागर की आज है पुण्यतिथि। मिल्ककिंग चौधरी वेदराम नागर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में एक अनोखी मिसाल कायम करने वाले थे उद्योगपति

चौधरी वेदराम नागर की आज है पुण्यतिथि। मिल्ककिंग चौधरी वेदराम नागर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में एक अनोखी मिसाल कायम करने वाले थे उद्योगपति

शफी मौहम्मद सैफी

ग्रेटर नोएडा। 25 अक्टूबर 2005 का दिन आज फिर से याद आ रहा है। यही वह दिन था जब नोएडा व ग्रेटर नोएडा क्षेत्र ने ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत ने एक चमकता हुआ सितारा खो दिया था। उस चमकते हुए सितारे का नाम था चौ. वेदराम नागर। शुक्रवार 25 अक्टूबर 2024 को पूरे देश में चौ. वेदराम नागर की 19 वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। आज ही के दिन 25 अक्टूबर 2005 को चौ. वेदराम नागर का निधन हो गया था।पारस के नाम से दूध का व्यापार करने वाली वी.आर.एस. फूडस लिमिटेड कंपनी के संस्थापक चौ. वेदराम नागर की पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया जा रहा है। चौधरी वेदराम नागर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में एक अनोखी मिसाल कायम करने वाले उद्योगपति थे। चौधरी वेदराम नागर ने एक छोटे से दूधिया (दूध बेचने वाला) के तौर पर अपना जीवन शुरू किया था। अपनी मेहनत, लगन, ईमानदारी व दूध की क्वालिटी के कारण उन्हें “मिल्क किंग” के नाम से नवाजा गया। 27 वर्ष की आयु में वर्ष-1960 में चौधरी वेदराम नागर ने दूध बेचने का व्यापार शुरू किया था। शुरू में वे मात्र 50 से 60 लीटर दूध प्रतिदिन बेचते थे। अब उनके द्वारा स्थापित वी.आर.एस. फूडस लिमिटेड कंपनी द्वारा देशभर में स्थापित फैक्ट्रियों से प्रतिदिन 36 लाख लीटर से भी अधिक दूध का व्यापार किया जाता है। चौधरी वेदराम नागर की खास पहचान बुलंदशहर जिले के गुलावठी कस्बे में स्थित पारस के दूध प्लांट से जुड़ी हुई है। यह अलग बात है कि आज पारस उद्योग समूह के देश भर में दूध प्लांट हैं तथा उनकी अगली पीढ़ी यानि उनके बेटे आधा दर्जन से अधिक बड़ी-बड़ी कंपनियों के जरिए हजारों करोड़ रूपये का व्यापार कर रहे हैं। वर्ष-1960 में 60 लीटर दूध प्रतिदिन बेचने वाले चौ. वेदराम नागर की कंपनी आज 36 लाख लीटर प्रतिदिन से भी अधिक दूध का व्यापार कर रही है। चौ. वेदराम नागर ने सबसे पहली फर्म वेदराम वीर सिंह के नाम से वर्ष-1980 में स्थापित की थी। उसके बाद वर्ष-1984 में उन्होंने बुलंदशहर के गुलावठी में दूध व दूध से बनने वाले उत्पादों की एक छोटी यूनिट लगाई थी। वर्ष-1986 में उन्होंने वी.आर.एस. फूडस के नाम से कंपनी की स्थापना की थी।वर्ष-1987 में उन्होंने गाजियाबाद के साहिबाबाद क्षेत्र में दूध का एक बड़ा उद्योग स्थापित किया था। वर्ष-1992 में एक बडा दूध का प्लांट गुलावठी में लगाया था। यह यात्रा आगे बढती गई और एक के बाद एक दूध की नई फैक्टरी चौ. वेदराम नागर लगाते चले गए। वर्ष-2004 में उन्होंने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दूध की फैक्ट्री की स्थापना की और पुरानी फैक्ट्रियों की उत्पादन क्षमता बढ़ाते रहे।वर्ष-2008 में उनकी कंपनी का नाम बदलकर वेदराम एंड संस प्राइवेट लिमिटेड हो गया। साल-दर-साल गुजरते चले गए और चौ0 वेदराम नागर देश के अलग-अलग हिस्सों अहमदनगर, कानपुर, लखनऊ समेत अनेक स्थानों पर फैक्ट्रियां खोलते रहे। यह चौ. वेदराम नागर का सपना ही था कि अब पारस उद्योग समूह दूध उत्पादन के मामले में टॉप-10 दूध उत्पादकों में शामिल हो गया है।जाने-माने राजनेता तथा राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र सिंह नागर स्वर्गीय चौधरी वेदराम नागर के पुत्र हैं। अपने बड़े भाई राजेन्द्र सिंह नागर, छोटे भाई गजेन्द्र सिंह नागर, डॉ. धर्मेद्र सिंह नागर, नरेन्द्र सिंह नागर तथा हरेन्द्र सिंह नागर के साथ मिलकर उन्होंने अपने पिता के द्वारा स्थापित पारस उद्योग समूह को नई बुलंदियां प्रदान की हैं। अब पारस उद्योग समूह केवल दूध का व्यापार ही नहीं करता है बल्कि हेल्थ केयर, रीयल स्टेट, शिक्षा व दवा उत्पादन समेत अनेक क्षेत्रों में पारस उद्योग समूह में अपनी पहचान बनाई है।दवा उत्पादन समेत अनेक क्षेत्रों में पारस उद्योग समूह में अपनी पहचान बनाई है। सांसद सुरेन्द्र सिंह नागर व उनके भाईयों ने गुलावठी में अपने पिता स्व. चौ. वेदराम नागर की प्रतिमा भी स्थापित की है। उनकी प्रतिमा स्थल पर प्रत्येक वर्ष उनका जन्मदिन व पुण्यतिथि मनाई जाता है।सांसद सुरेन्द्र सिंह नागर की देखरेख में गठित किया गया चौ. वेदराम चैरिटेबल ट्रस्ट समाजसेवा के क्षेत्र में भी अनेक कार्य कर रहा है। इस प्रकार एक छोटे से दूधिया से अपनी यात्रा शुरू करने वाले चौ. वेदराम नागर दुनिया से जाने के बाद भी मिल्क किंग के नाम से प्रसिद्ध हैं। ग्रामीण क्षेत्र के किसानों व मजदूरों खासतौर से गुर्जर समाज में उनका नाम बेहद श्रद्धा व सम्मान के साथ लिया जाता है। भाजपा नेता व सांसद सुरेन्द्र सिंह नागर अपने पिता स्व. चौ. वेदराम नागर को याद करते हुए कहते हैं कि उनके पिता हमेशा अपनी उन्नति से पहले देश व समाज? की उन्नति की चिंता करते थे। उनका प्रयास है कि वे अपने पिता द्वारा स्थापित आदर्शों को आगे बढ़ाते रहें।

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