शारदा में तीन दिवसीय अंतरर्राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ शुभारंभ।
शारदा में तीन दिवसीय अंतरर्राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ शुभारंभ।
शफी मौहम्मद सैफी
ग्रेटर नोएडा।शारदा स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज़ एंड सोशल साइंसेस द्वारा ‘ समसामयिक विश्व में सतत विकास के लिए भारतीय ज्ञान प्रणाली‘ विष्य पर अंतरर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया गया। तीन दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन में अंतरर्राष्ट्रीय एंव र्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ शारदा विश्वविद्यालय के प्रो चासंलर वाई के गुप्ता, शारदा विश्वविद्यालय के प्रो वाई चासंलर डॉ परमा नंद, शारदा स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज़ एंड सोशल साइंसेस की डीन डॉ अन्विति गुप्ता सहित अंतरर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों द्वारा दीप जलाकर किया। कार्यक्रम के दौरान 2 पुस्तकों का भी विमोचन किया गया। प्रो चासंलर वाई के गुप्ता ने संबोधित करते हुए कहा कि आज का विषय समय के अनुसार बेहद अहम है। भारतीय ज्ञान प्रणाली के माध्यम से भारत को विश्व गुरू बनने में अहम योगदान मिल सकता है। यहां तक की र्राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इसको शामिल करना चाहिए। यह एक ऐसा विषय है जिस पर अंतरर्राष्ट्रीय देश भी अनुसंधान कर रहे है और यह यह जिम्मेदारी हर विद्यालय एंव विश्वविद्यालय की होनी चाहिए की वह भारतीय ज्ञान प्रणाली को अपने कोर्स का हिस्सा बनाए। इसरो के वैज्ञानिक एंव भारत सरकार के पूर्व सलाहकार, अनुसंधान डा ओम प्रकाश पांडे ने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली को अपनाने के लिए उसको समझना बहुत आवश्यक है। अगर भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो भारत पूरे विश्व में सबसे अनोखा देश है, यही नही हमारे देश का मूल्य भी अलग है क्योकि यहां विभिन्न प्रकार की संस्कृति देखी जा सकती है। भारत को समझने के लिए विश्व दृष्टि से समझना होगा क्योकि भारत की छाप पूरे विश्व में है और हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए।ब्रह्म कुमारीस की निदेशिका बीके आशा दीदी ने कहा कि मनुष्य को जीवन में स्वास्थ्य, संपत्ति, खुशी जैसी अच्छी चींसे चाहिए ऐकिन जब शिक्षा की बात आती है तो यह अंदर से अपने आप आनी चाहिए। ज्ञान को तीन रूप से देखा जा सकता है ज्योति, संपत्ति एंव शक्ति। जब तक ज्ञान गुण में नही बदला जाऐगा तब तक उसका क्या काम। भारतीय ज्ञान प्रणाली हमको स्वराज अधिकारी बनाता है। छात्रों को सलाह देते हुए कहा कि छात्रों को अपने लक्ष्य पर फोकस करना चाहिए और हर चींस में संतुलन अहम है। आप सभी को ध्यान लगा कर अपनी संकल्प शक्ति पर काम करना चाहिए। आपको आजीवन सीखने का संकल्प ले। इस कार्यक्रम में शारदा विश्वविद्यालय के डीन, डायरेक्टर, शिक्षक एंव छात्र सहित अनेक लोगों ने हिस्सा लिया।