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गलगोटियास विश्वविद्यालय में स्कूल शिक्षकों के लिए नवाचार, डिजाइन और उद्यमिता (आईडीई) बूटकैंप के आयोजन का हुआ शुभारम्भ। भारत सदैव से नवप्रवर्तन की भूमि रहा है। अमिताभ नाग 

गलगोटियास विश्वविद्यालय में स्कूल शिक्षकों के लिए नवाचार, डिजाइन और उद्यमिता (आईडीई) बूटकैंप के आयोजन का हुआ शुभारम्भ। भारत सदैव से नवप्रवर्तन की भूमि रहा है। अमिताभ नाग 

शफी मौहम्मद सैफी

ग्रेटर नोएडा। गलगोटियास विश्वविद्यालय में स्कूल शिक्षकों के लिए नवाचार, डिजाइन और उद्यमिता (आईडीई) बूटकैंप के आयोजन का शुभारम्भ गुरुवार को हुआ।कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अमिताभ नाग जी के साथ मिलकर विश्वविद्यालय के वाइस चॉसलर डा० के मल्लिकार्जुन बाबू, पूर्व वाइस चांसलर एवम् वर्तमान चॉसलर सलाहकार डा० रेनु लूथरा और प्रो० वाइस चॉसलर डा० अवधेश कुमार ने माँ सरस्वती की वन्दना करके और दीप प्रज्वलन के साथ किया। यह IDE (आईडीई) बूटकैम्प दो दिवसीय कार्यक्रम शिक्षा मंत्रालय के नवाचार सेल के निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है। यह कार्यक्रम नवाचार, डिज़ाइन, और उद्यमिता (IDE) बूटकैम्प जो शैक्षिक नवाचार परिषद द्वारा आयोजित किया गया है, और जो कि शैक्षिक शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय के नवाचार सेल (MIC), एआईसीटीई, और एनसीईआरटी के साथ एक शैक्षिक सहयोग कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य देश के प्रतिभा वान युवाओं की प्रतिभा को ऊकेरना और उनको उनकी मंजिल तक पहुँचाना है।  अपने अभिभाषण में मुख्य अतिथि अमिताभ नाग ने कहा कि आज भविष्य में हम एक ऐसी प्रणाली की कल्पना कर रहे हैं जिससे हम बहुभाषी क्षमता में आपसे बात करने की स्थिति में होंगे। कई प्रणालियों का प्रदर्शन किया जा चुका है और बहुत सी चीजें उपलब्ध हैं। जैसा कि आप जानते हैं, हमने कार्यान्वित किया है कि हम क्या करने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि कंप्यूटर बोलने और भाषण उत्पन्न करने में सक्षम है और भाषण को समझने और अनुवाद करने में भी सक्षम है।गलगोटियास विश्वविद्यालय के वॉइस चॉसलर डा० के मल्लिकार्जुन बाबू ने कहा कि उन्होंने नैतिकता के महत्व को बताते हुए कहा कि नैतिक रूप से और कानूनी रूप से हमारी बहुत जिम्‍मेदारी है और हमें उस चीज का हमेशा पालन करना चाहिए। और यहां छात्र होने के नाते, आप विभिन्न पाठ्यक्रम और डिग्रियां हासिल कर रहे हैं। आपकी शिक्षा में भी, आपकी पढ़ाई में भी, एक नैतिकता होनी चाहिए, क्योंकि नैतिकता के लिए नेतृत्व की आवश्यकता होती है।चाहे निजी क्षेत्र हो या सार्वजनिक क्षेत्र, लेकिन नैतिकता हर जगह है जो महत्वपूर्ण है। नैतिकता आपकी हर सुख-दुख में आपकी मदद करेगी। इसलिए नैतिकता की अनदेखी नहीं की जा सकती। गलगोटियास विश्वविद्यालय के सीईओ डा० ध्रुव गलगोटियास ने देश की युवा शक्ति से आवाह्न करते हुए कहा कि आपके पास अपने जीवन में किसी भी विषय पर नयी से नयी खोज करने की अपार क्षमताएँ हैं। अपार संभावनाएँ हैं। आप उनका सदुपयोग करके भारत को दुनिया का एक सबसे शक्तिशाली और गौरव शाली राष्ट्र बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भुमिका निभाएँ। यही आपका दायित्व है। और यही इस प्रकार के कार्यक्रमों की सफलता का सही प्रमाण होगा। और आओ हम सब मिलकर आगे बढें और जन कल्याण के कार्य करें। जिससे राष्ट्र की उन्नति हो सके। डा० रेनु लूथरा ने कहा कि आज, आप जैसे अकादमिक प्रशासकों की भूमिका का विस्तार हुआ है। बाईं ओर करना सबसे आसान हिस्सा है। दाहिना पक्ष समग्र सोच है। दाहिना पक्ष मानवीय संबंधों को विकसित करना है, उन चीज़ों के बीच अंतर्संबंध ढूंढना है जो संबंधित नहीं हैं। उन्होंने आर्किमिडीज़ का उदाहरण देते हुए कहा कि क्या आप सभी आर्किमिडीज़ के सिद्धांत से परिचित हैं? आर्किमिडीज़ पानी के एक टब में लेटा हुआ है। वह स्नान कर रहा है. और जब वह टब में उतरता है, तो पानी बाहर निकल जाता है। और वह टब से बाहर भागता है और कहता है, यूरेका, यूरेका, यानी मुझे यह मिल गया, मुझे यह मिल गया। कि जब किसी पिंड को पानी में डुबोया जाता है तो वह अपने वजन के बराबर मात्रा में पानी विस्थापित कर देता है। अब ये क्या था। एक साधारण सी घटना के घटने से उसकी नयी सोच ने एक नयी खोज कर डाली। डा० अवधेश कुमार ने कहा कि कोई भी स्कूल, कॉलेज, संगठन और देश तभी सफल हो सकता है जब वह नवाचार और अनुसंधान पर निर्भरता रखता है और नई प्रौद्योगिकियों और सामान्य उपयोग के उपकरणों के विकास पर ध्यान केंद्रित करता है। उन्होंने अनुसंधान और नवाचार पर आधारित संगठनों के अस्तित्व के बारे में भी विस्तार से बताया। ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए एक सामंजस्यपूर्ण और अनुकूल वातावरण का निर्माण अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसके लिए संस्थान प्रमुख और युवाओं को अपने नेतृत्व की गुणवत्ता का भी प्रदर्शन करना होगा।कार्यक्रम की नोडल अधिकारी मीनाक्षी शर्मा ने विस्तार से बताया कि इस दो दिवसीय कार्यक्रम में प्रधानाचार्यों की कुल संख्या: 165,शिक्षकों की कुल संख्या: 83,स्कूलों की कुल संख्या: 165 (केन्द्रीय विद्यालय: 82; सरकारी इंटर कॉलेज: 83)विशेषज्ञों/प्रशिक्षकों की कुल संख्या: 07,यूपी के जिलों की कुल संख्या: 43 रहेगी

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