श्री धार्मिक रामलीला। माता सीता के स्वयंवर का हुआ सुन्दर चित्रण
श्री धार्मिक रामलीला। माता सीता के स्वयंवर का हुआ सुन्दर चित्रण
ग्रेटर नोएडा। परम पूज्य गोस्वामी सुशील महाराज के दिशा निर्देशन में तथा अध्यक्ष आनंद भाटी के मार्गदर्शन में आज भगवान श्री राम की लीला मंचन का चौथा दिन था । प्रभु की महालीला कार्यक्रम में आज के मुख्य अतिथि इकबाल सिंह लालपुरा जी (सदस्य, भाजपा राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड) आज के विशेष अतिथि राजगुरु बीकानेर स्टेट विमर्शानंद गिरी महाराज मठाधीश लालेश्वर महादेव अध्यक्ष आनंद भाटी ने बताया आज मंचन की शुरुआत माता सीता के स्वयंवर से प्रारंभ हुआ जिसमें पूरे विश्व से बड़े-बड़े राजा और महाराज हिस्सा लिए लेकिन भगवान शिव की धनुष को कोई दिला ना सका जब सभी ने हार मान ली और जनक जी ने कहा कि अब क्या यह पृथ्वी वीरों से खाली हो गई है तब महर्षि विश्वामित्र के कहने पर भगवान श्री राम ने उस शिव धनुष को उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाने लगे लेकिन वह धनुष टूटकर बिखर गई पूरे ब्रह्मांड में हलचल मच गई भगवान परशुराम प्रकट हुए बहुत प्रयत्नों के बाद उनका क्रोध शांत हुआ और उन्होंने भगवान श्री राम का स्वरूप पहचाना और माता सीता और भगवान श्री राम को अपना आशीष देकर वह प्रस्थान किये इधर अयोध्या में शादी की तैयारी में पूरी अयोध्या बाराती बनकर निकल गई यह दृश्य बड़ा ही दिव्य रहा जनकपुर में बारातियों का स्वागत बड़े ही धूमधाम से किया गया और भगवान श्री राम और माता सीता के साथ-साथ चारों भाइयों का विवाह जनकपुर में एक साथ संपन्न हुआ और इस खुशी के क्षण के साथ माता सीता और उनकी बहनों की विदाई से पूरा जनकपुर दुख में डूब गया इधर अयोध्या में वर वधु के स्वागत में पूरी अयोध्या सज गई और विविध प्रकार के व्यंजनों की व्यवस्था की गई और समस्त बारात से वापस आ रहे अयोध्या वासियों का स्वागत किया गया चारों तरफ खुशहाली ही खुशहाली के बीच महाराज दशरथ ने निर्णय लिया कि भगवान श्री राम का राज्याभिषेक कर दिया जाए इस बात से दुखी मंथरा ने माता कैकई को बहुत भ्रमित कर दिया और माता कैकई ने महाराज दशरथ से अपने दो वचनों में भरत के लिए अयोध्या का राज्य और भगवान श्री राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांग लिया माता-पिता के आज्ञा से भगवान श्री राम माता सीता और भैया लक्ष्मण तीनों लोग वन के लिए प्रस्थान किए साथ में पूरी अयोध्या प्रस्थान के लिए तैयार हो गई इस क्षण अयोध्या वासियों का प्रेम देखकर के सारे दर्शकों के आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली यह बड़ा ही दिव्य दृष्य रहा जो भगवान राम के प्रति उनकी प्रजा के प्रेम को दर्शा रहा था।
सीख.. आज के मंचन में सबसे बड़ी सीख मंथरा और कैकई के लीला में रही की किसी के कहने पर या बहकावे में आकर कभी जीवन में फैसला नहीं लेना चाहिए नहीं तो पूरा परिवार और पूरा जीवन तहस-नहस हो सकता है। इस अवसर पर संस्थापक परम पूज्य गोस्वामी सुशील जी महाराज, संस्थापक एडवोकेट राजकुमार नागर,पंडित प्रदीप शर्मा,शेर सिंह भाटी,हरवीर मावी, मुख्य संरक्षक नरेश गुप्ता, संरक्षक सुशील नागर,धीरेंद्र भाटी,मनोज गुप्ता,सतीश भाटी,दिनेश गुप्ता,पवन नागर,बालकिशन सफीपुर,धीरज शर्मा, अध्यक्ष आनंद भाटी, महासचिव ममता तिवारी, कोषाध्यक्ष अजय नागर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेश शर्मा बदौली,सुभाष भाटी,उमेश गौतम,योगेंद्र भाटी,मनीष डाबर,रोशनी सिंह,चैन पाल प्रधान, मीडिया प्रभारी अतुल आनंद ,उपाध्यक्ष जितेंद्र भाटी,सत्यवीर मुखिया,फिरे प्रधान,पी पी शर्मा,सुनील बंसल,महेश कमांडो, सचिव एडवोकेट विमलेश रावल,ज्योति सिंह, वीरपाल मावी, जयदीप सिंह,गीता सागर, यशपाल नागर,तेजकुमार भाटी उपस्थित रहे।