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इनॉवेटिव इंस्टिट्यूट ऑफ़ लॉ में इंट्रा मूट कोर्ट प्रतियोगिता के द्वितीय दिवस का हुआ आयोजन

इनॉवेटिव इंस्टिट्यूट ऑफ़ लॉ में इंट्रा मूट कोर्ट प्रतियोगिता के द्वितीय दिवस का हुआ आयोजन

ग्रेटर नोएडा ।इनॉवेटिव इंस्टिट्यूट ऑफ़ लॉ, ग्रेटर नोएडा में 20 नवम्बर 2025 को इंट्रा मूट कोर्ट प्रतियोगिता के दूसरे दिन का भव्य एवं सफल आयोजन किया गया। प्रतियोगिता के उद्घाटन सत्र के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) रीजनल सेंटर, नोएडा के वरिष्ठ क्षेत्रीय निदेशक डॉ. सिरान मुखर्जी तथा उप निदेशक डॉ. अंजना को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ इनॉवेटिव ग्रुप की अकादमिक निदेशक डॉ. तितिक्षा शर्मा द्वारा मुख्य अतिथियों के औपचारिक स्वागत के साथ हुआ। उन्होंने विद्यार्थियों को इग्नू के विविध शैक्षणिक कार्यक्रमों की महत्ता से अवगत कराते हुए बताया कि ऐसे कार्यक्रम विद्यार्थियों के करियर विकास में अत्यंत सहायक सिद्ध होते हैं।इसके उपरांत डॉ. सिरान मुखर्जी ने इग्नू द्वारा संचालित प्रमाणपत्र कार्यक्रमों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कोविड-19 के बाद शिक्षा क्षेत्र में आए परिवर्तन तथा “हाइब्रिड मोड ऑफ एजुकेशन” की बढ़ती प्रासंगिकता पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि इग्नू वर्तमान में विभिन्न विभागों के माध्यम से 300 से अधिक पाठ्यक्रम एवं कार्यक्रम संचालित कर रहा है। साथ ही, उन्होंने विद्यार्थियों को ‘समर्थ पोर्टल’ की विशेषताओं एवं उपयोगिता के बारे में भी जानकारी प्रदान की। इंट्रा मूट कोर्ट प्रतियोगिता के द्वितीय दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. अर्चना सिंह, पूर्व अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का शुभारंभ इनॉवेटिव इंस्टिट्यूट ऑफ़ लॉ के वित्त निदेशक द्वारा मुख्य अतिथि के स्वागत एवं संबोधन के साथ हुआ। उन्होंने विद्यार्थियों को मूट कोर्ट की महत्ता बताते हुए कहा कि मूट कोर्ट विद्यार्थियों को वास्तविक न्यायालय की प्रक्रिया, विधिक तर्क-वितर्क, अधिवक्ता कौशल तथा न्यायालयीन शिष्टाचार की गहरी समझ प्रदान करता है।अपने संबोधन में डॉ. अर्चना सिंह ने मूट कोर्ट प्रतियोगिता के अंतिम चरण का शुभारंभ किया तथा न्यायालय के महत्वपूर्ण व्यावहारिक पक्षों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने कोर्ट रूम एटिकेट, न्यायालयीन वेशभूषा, न्यायालय में रोब पहनने की अनिवार्यता तथा अनुशासन संबंधी नियमों पर विद्यार्थियों को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट “कानून का न्यायालय” है, जबकि जिला न्यायालय “कानून एवं तथ्यों का न्यायालय” होता है। उन्होंने प्रभावी तर्क प्रस्तुत करने की तकनीकों तथा बहस के दौरान एक अधिवक्ता को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस पर भी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया।कार्यक्रम के समापन पर इनॉवेटिव इंस्टिट्यूट ऑफ़ लॉ के प्राचार्य डॉ. मृत्युंजय पांडेय ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। उन्होंने मूट कोर्ट गतिविधियों को विधि शिक्षा का महत्वपूर्ण अंग बताते हुए कहा कि यह अभ्यास विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, व्यावहारिक ज्ञान तथा न्यायिक प्रक्रिया की गहरी समझ विकसित करता है। अंत में, इनॉवेटिव इंस्टिट्यूट ऑफ़ लॉ की ओर से सभी प्रतिभागियों, अतिथियों एवं आयोजन टीम के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया गया।

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