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भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 के प्रावधान अधिवक्ताओं के संवैधानिक व मौलिक अधिकार के विपरीत। देवेश भाटी एडवोकेट

भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 के प्रावधान अधिवक्ताओं के संवैधानिक व मौलिक अधिकार के विपरीत। देवेश भाटी एडवोकेट

शफी मौहम्मद सैफी

ग्रेटर नोएडा। भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 के प्रावधान अधिवक्ताओं के संवैधानिक व मौलिक अधिकार के विपरीत प्रस्तावित किया गया है जो कि भविष्य में अधिवक्ताओं की एकता एवं अखंडता को खंडित करने एवं दमन करने के आशय को प्रदर्शित करता है। उक्त प्रस्तावित संशोधन बिल, जो कि अधिवक्ताओं के हित के विपरीत है देशभर के समस्त अधिवक्ता मुखररूप से असहमति व्यक्त करते हुए विरोध करते हैं।अधिवक्ता व्यवसाय की गरिमा के विपरीत अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 जिसका पुरजोर विरोध किया जाता है।केंद्र और राज्य की सरकार सभी संस्थाओं को अपने अधीन करना चाहती जिससे अधिवक्ता वर्ग जनता और वादकारियों के हक सरकार के अन्याय के खिलाफ आवाज न उठा सके।अधिवक्ता संशोधन बिल वापस होने के विरोध में प्रदर्शन करते सम्मानित समस्त अधिवक्ता साथी व बार काउंसिल उत्तर प्रदेश के आह्वाहन पर आगामी 25.02.2025 को जोरदार प्रदर्शन करके सरकार को बिल वापस लेने को मजबूर करना होगा नहीं तो अधिवक्ता की भी स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी।अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 में अधिवक्ता हित के लिए कोई स्थान नहीं मिला है। 35 ए जिसमें अधिवक्ताओं को अपने अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए विरोध करने का न्यायिक कार्य से विरत रहने का अधिकार था। उसको भी समाप्त किया जा रहा है। अधिवक्ता भी भारत का नागरिक है उसे भी अपने अधिकारों की सुरक्षा का संपूर्ण अधिकार है और होना भी चाहिए परंतु इस बिल में ऐसा कुछ नहीं है ना ही किसी नए अधिवक्ता को किसी प्रकार की राह दी जा रही है और ना ही पुराने अधिवक्ताओं को किसी प्रकार की राह दी जा रही है। इलाज है तो कोई सुविधा नहीं है बीमारी अपंगता हेतु कोई सुविधा नहीं है। सिर्फ अधिवक्ता सरकार का विरोध नहीं कर सकता है। ऐसी स्थिति में इसका पूर्ण जोर विरोध किया जाना न्यायसंगत है और स्वतंत्रता हित में अति आवश्यक है ।

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