यमुना प्राधिकरण से किसानों को बड़ा लाभ: सीधे जमीन बेचने पर बढ़ा मुआवजा, साथ में मिलेगा आबादी भूखंड
यमुना प्राधिकरण से किसानों को बड़ा लाभ: सीधे जमीन बेचने पर बढ़ा मुआवजा, साथ में मिलेगा आबादी भूखंड
ग्रेटर नोएडा। यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) से जमीन बेचने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है। अब विकास परियोजनाओं के लिए जिन गांवों की जमीन का अधिग्रहण होगा, वहां के किसानों को 3100 रुपये प्रति वर्गमीटर की जगह 4300 रुपये प्रति वर्गमीटर मुआवजा दिया जाएगा। वहीं, जो किसान प्राधिकरण को सीधे जमीन का बैनामा करेंगे, उन्हें सात फीसदी आबादी का भूखंड भी मिलेगा। हालांकि, इस विकल्प को चुनने पर किसानों को दस फीसदी कम मुआवजा मिलेगा।
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अब तक इतना मिल रहा था मुआवजा
वर्तमान में, सीधे जमीन बेचने वाले किसानों को 2700 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से मुआवजा और सात फीसदी आबादी भूखंड दिया जा रहा है। वहीं, जो किसान आबादी भूखंड नहीं लेते, उन्हें 3100 रुपये प्रति वर्गमीटर मुआवजा दिया जाता है।
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28 मार्च को बोर्ड बैठक में होगा अहम फैसला
यमुना प्राधिकरण की 28 मार्च को होने वाली बोर्ड बैठक में मुआवजा वृद्धि पर अंतिम मुहर लग सकती है। बैठक की अध्यक्षता प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास एवं प्राधिकरण अध्यक्ष आलोक कुमार करेंगे। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के तीसरे और चौथे चरण के लिए अधिग्रहीत भूमि के किसानों को पहले ही 4300 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से मुआवजा देने का निर्णय लिया गया था। इसी तर्ज पर अन्य गांवों के किसान भी मुआवजा बढ़ाने की मांग कर रहे थे, जिस पर अब प्राधिकरण सकारात्मक रुख अपना सकता है।
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बजट और संपत्तियों की दरों में बढ़ोतरी पर भी होगा विचार
बोर्ड बैठक में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बजट प्रस्ताव भी रखा जाएगा। विकास कार्यों और भूमि अधिग्रहण के लिए 8000 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया जा सकता है।पिछले वर्ष, यमुना प्राधिकरण ने 9957.20 करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट प्रस्तावित किया था, जिसमें से 6063 करोड़ रुपये भूमि अधिग्रहण के लिए आवंटित किए गए थे। हालांकि, धीमी प्रक्रिया के कारण यह राशि पूरी तरह खर्च नहीं हो पाई। ऐसे में, प्राधिकरण अब अपनी संपत्तियों की दरों में 10 से 20 फीसदी तक वृद्धि करने पर विचार कर सकता है, जिससे मुआवजा बढ़ाने से होने वाले वित्तीय दबाव को संतुलित किया जा सके।यमुना क्षेत्र में बढ़ते औद्योगिक और आवासीय विकास को देखते हुए यह निर्णय किसानों और प्राधिकरण, दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।