गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में म्यांमार के छात्रों ने थिंग्यान उत्सव 1387 का किया भव्य आयोजन
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में म्यांमार के छात्रों ने थिंग्यान उत्सव 1387 का किया भव्य आयोजन
ग्रेटर नोएडा। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में अध्ययनरत म्यांमार के छात्र समुदाय ने थिंग्यान उत्सव 1387 (म्यांमार नववर्ष) को बड़े उत्साह, पारंपरिक उल्लास और एकजुटता के साथ मनाया। एम.ए. और पीएच.डी. बौद्ध अध्ययन के छात्रों द्वारा आयोजित इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में भारत, वियतनाम, कंबोडिया, लाओस, ताइवान और श्रीलंका सहित विभिन्न देशों के अंतरराष्ट्रीय छात्र एवं संकाय सदस्य शामिल हुए।
म्यांमार नववर्ष — थिंग्यान उत्सव
थिंग्यान, म्यांमार का पारंपरिक नववर्ष उत्सव है, जिसे सामान्यतः अप्रैल के मध्य में मनाया जाता है। यह म्यांमार की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो बौद्ध परंपराओं और ऋतु परिवर्तन से जुड़ा हुआ है। “थिंग्यान” शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द “संक्रमण” से हुई है, जो सूर्य के मीन से मेष राशि में प्रवेश को दर्शाता है — यह परिवर्तन पुराने वर्ष के अंत और नए वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।थिंग्यान का इतिहास प्राचीन बगान काल (9वीं शताब्दी से पहले) तक जाता है, और यह भारतीय पौराणिक कथाओं व ज्योतिष शास्त्र से जुड़ा हुआ है।इस उत्सव की एक मुख्य विशेषता है जल छिड़कने की परंपरा। सड़कों पर एक-दूसरे पर पानी डालना जहाँ आनंद का प्रतीक है, वहीं इसका आध्यात्मिक महत्व भी है — यह बीते वर्ष के पापों और दुर्भाग्य को धोकर आत्मा को शुद्ध करने की प्रक्रिया मानी जाती है।इस अवसर पर पारंपरिक व्यंजन जैसे मोंट लोन याय पो (गुड़ से भरे चिपचिपे चावल के गोले) बनाए और एक-दूसरे के साथ साझा किए जाते हैं, जो उत्सव की उदारता और नवीकरण की भावना को दर्शाते हैं।13 से 17 अप्रैल तक मनाया जाने वाला थिंग्यान, जिसे जल महोत्सव के रूप में भी जाना जाता है, शुद्धि, नवीनीकरण और सौहार्द का प्रतीक है। इस उत्सव के अंतिम दिन, छात्रों ने अपने सहपाठियों और शिक्षकों को आमंत्रित कर जल अर्पण की रस्म और म्यांमार के पारंपरिक व्यंजन बांटे।इस सांस्कृतिक आयोजन में पारंपरिक संगीत, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और जलपान की व्यवस्था ने म्यांमार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की एक झलक प्रस्तुत की। इस वर्ष का आयोजन केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान तक सीमित नहीं रहा — छात्रों ने हाल ही में म्यांमार में आए भूकंप से प्रभावित लोगों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए, सहायता और दान अर्पित किए।इस अवसर पर आयोजकों ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी परंपराओं को साझा करने का अवसर मिलने के लिए आभार व्यक्त किया। एक छात्र ने कहा, “यह केवल हमारा नववर्ष मनाने का अवसर नहीं था, बल्कि वैश्विक समुदाय के रूप में करुणा और एकता के साथ एक होने का प्रतीक था।”यह आयोजन सांस्कृतिक सौहार्द, पारस्परिक सम्मान और सीमाओं से परे समुदाय की दृढ़ता का एक जीवंत उदाहरण बन गया।