भारत और यूनाइटेड किंगडम ने व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीइटीए) पर किए हस्ताक्षर । भारत के हस्तशिल्प उद्योग के लिए नए अवसरों वाला ऐतिहासिक समझौता
भारत और यूनाइटेड किंगडम ने व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीइटीए) पर किए हस्ताक्षर
भारत के हस्तशिल्प उद्योग के लिए नए अवसरों वाला ऐतिहासिक समझौता
दिल्ली/एनसीआर।भारत और यूनाइटेड किंगडम ने 24 जुलाई, 2025 को व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) पर हस्ताक्षर किए, जो भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मज़बूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इस समझौते के तहत ब्रिटेन को किए जाने वाले लगभग सभी भारतीय हस्तशिल्प निर्यातों पर शुल्क समाप्त हो गया है, जिससे दुनिया के सबसे आकर्षक बाजारों में से एक में भारतीय निर्यातकों को एक महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी। इस समझौते पर दोनों प्रधानमंत्रियों की उपस्थिति में माननीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल और व्यापार एवं वाणिज्य राज्य मंत्री श्री जोनाथन रेनॉल्ड्स ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर बोलते हुए, ईपीसीएच के अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने कहा, “सीईटीए समझौते का भारत के हस्तशिल्प क्षेत्र पर एक परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ेगा और यह यूके के उच्च-मूल्य वाले हस्तशिल्प खंड में भारत की उपस्थिति को नए सिरे से परिभाषित करेगा। अब शून्य शुल्क पहुंच मिलने से, जो पहले 15% तक था, भारतीय निर्यातकों को बांग्लादेश, पाकिस्तान, थाईलैंड, वियतनाम और चीन जैसे प्रतिस्पर्धियों के साथ समान अवसर प्राप्त होंगे, जिन्हें पहले शुल्क-मुक्त पहुंच का लाभ मिलता था। उन्होंने आगे कहा, “इस समझौते से श्रम-प्रधान और पारंपरिक क्षेत्रों को लाभ होने की उम्मीद है, जिनमें हस्तनिर्मित कालीन, लकड़ी के सामान, कढ़ाई वाले सामान, कलात्मक धातु के सामान और नकली आभूषण शामिल हैं। इन क्षेत्रों में मांग में वृद्धि होने की संभावना है, जो टिकाऊ, विरासत से प्रेरित और नैतिक रूप से उत्पादित उत्पादों के लिए ब्रिटेन के उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताओं से प्रेरित है। यह न केवल व्यापार के लिए, बल्कि सांस्कृतिक कूटनीति और समावेशी विकास के लिए भी एक जीत है।”इसी तरह की भावनाओं को दोहराते हुए, ईपीसीएच के महानिदेशक की भूमिका में मुख्य संरक्षक और आईईएमएल के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा, “शुल्क हटाकर और अनुपालन को सरल बनाकर, सीईटीए हमारे निर्यातकों को यूके के बाजार में प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने के लिए सशक्त बनाता है। इस हस्ताक्षरित समझौते से भारत के द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जो वर्तमान में 23 बिलियन डॉलर है, जिसमें कपड़ा और हस्तशिल्प क्षेत्र का योगदान केवल 2.12 बिलियन डॉलर है। यह भी अनुमान है कि कार्यान्वयन के पहले दो वर्षों के भीतर हम हस्तशिल्प निर्यात में भारी उछाल देख सकते हैं।”
ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने कहा, “सीईटीए पर हस्ताक्षर भारत के हस्तशिल्प क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। ईपीसीएच प्रमुख अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों में भागीदारी, क्रेता-विक्रेता बैठकों और हमारे शिल्प की विविधता को प्रदर्शित करने के लिए बर्मिंघम, यूके में विषयगत मंडप की व्यवस्था जैसी पहलों के माध्यम से यूके में भारतीय हस्तशिल्प की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में लगातार काम कर रहा है।” इस समझौते से इन प्रयासों को नई गति मिलेगी, जिससे हमारे कारीगरों और निर्यातकों को ब्रिटेन के बाजार में गहराई से प्रवेश करने और दीर्घकालिक व्यापारिक साझेदारियां स्थापित करने में मदद मिलेगी।” उन्होंने आगे कहा कि समझौते के लागू होने की तारीख की घोषणा अभी नहीं की गई है और इसके लागू होने में समय लग सकता है।
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद देश से हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने और देश के विभिन्न शिल्प समूहों में घरेलू, जीवनशैली, वस्त्र, फर्नीचर और फैशन आभूषण एवं सहायक उत्पादों के उत्पादन में लगे लाखों शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों के जादू की ब्रांड छवि बनाने के लिए एक नोडल संस्थान है। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि वर्ष 2024-25 के दौरान कुल हस्तशिल्प निर्यात 33,123 करोड़ रुपये (3,918 मिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा और वर्ष 2024-25 के दौरान यूके को हस्तशिल्प निर्यात 2,562.70 करोड़ रुपये (303 मिलियन अमेरिकी डॉलर) था, जो रुपये के संदर्भ में 8.19% और डॉलर के संदर्भ में 5.96% की वृद्धि दर्ज की गई I