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एक्यूरेट कॉलेज ऑफ लॉ, ग्रेटर नोएडा में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर मानव गरिमा और समानता उत्सव का हुआ आयोजन

एक्यूरेट कॉलेज ऑफ लॉ, ग्रेटर नोएडा में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर मानव गरिमा और समानता उत्सव का हुआ आयोजन

ग्रेटर नोएडा।एक्यूरेट कॉलेज ऑफ लॉ, ग्रेटर नोएडा ने अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें 1948 में पारित “मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा (यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स- UDHR)” की 76वीं वर्षगांठ का महत्व रेखांकित किया गया। इस वर्ष की थीम, “Our Rights, Our Future, Right Now (हमारे अधिकार, हमारा भविष्य, अभी)” पर आधारित यह आयोजन मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उन्हें लागू करने की आवश्यकता पर केंद्रित रहा।कार्यक्रम में “मानव गरिमा और न्याय बनाए रखने में वैश्विक एकता” पर एक विशेष व्याख्यान दिया गया। इसके साथ ही, पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, और संगीत प्रस्तुतियों के माध्यम से छात्रों ने अपनी रचनात्मकता और विचारशीलता प्रदर्शित की।

इन गतिविधियों ने मानवाधिकारों की अवधारणा को गहराई से समझाने और उसके प्रति जागरूकता फैलाने में योगदान दिया।संस्थान के निदेशक डॉ0 अजय कुमार तिवारी ने अपने संबोधन में ‘मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा’ के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि “मानवाधिकार केवल अधिकार नहीं हैं, यह हमारी गरिमा और स्वतंत्रता के प्रतीक हैं। वर्तमान समय में इनकी रक्षा करना आवश्यक है ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए न्याय, समानता और सम्मान आधारित समाज का निर्माण हो सके।”कार्यक्रम के दौरान, संस्थान के प्रबंध निदेशक दीपक शर्मा ने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि “यह अवसर हमें मानवाधिकारों के प्रति हमारी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है। मैं सभी प्रतिभागियों को बधाई देता हूं जिन्होंने इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया और इसे सफल बनाया।”
इस कार्यक्रम में डॉ0 सपना सिंह, विकास कुमार, श्वेता गुप्ता, अंजलि, गरिमा, विनीता झा सहित सभी शिक्षकों, स्टाफ और बी0ए0एलएल0बी0 एवं एलएल0बी0 के विधि छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन श्वेता गुप्ता ने किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों, शिक्षकों और छात्रों के योगदान के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह आयोजन न केवल मानवाधिकारों की समझ बढ़ाने का माध्यम बना, बल्कि छात्रों को सामाजिक न्याय और समानता के प्रति अधिक जागरूक बनाने में भी सफल रहा। सभी ने मानवाधिकारों के संरक्षण और उनके प्रचार-प्रसार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।

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