इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय की पहल के से गलगोटिया विश्वविद्यालय बना कृत्रिम बुद्धिमत्ता संवाद का राष्ट्रीय केंद्र
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय की पहल के से गलगोटिया विश्वविद्यालय बना कृत्रिम बुद्धिमत्ता संवाद का राष्ट्रीय केंद्र

ग्रेटर नोएडा।गलगोटिया विश्वविद्यालय ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रभाव शिखर सम्मेलन 2025 का सफल आयोजन किया, जिसने भारत में उभरती कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित तकनीकों, शिक्षा, नीति निर्माण और मानव-केंद्रित विकास पर राष्ट्रीय स्तर का महत्वपूर्ण संवाद स्थापित किया। यह कार्यक्रम देश के उस भविष्यवादी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने वाला साबित हुआ, जिसके अंतर्गत भारत, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, एक शक्तिशाली और जिम्मेदार कृत्रिम बुद्धिमत्ता-समर्थ राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। पूर्व-सम्मेलन संगोष्ठी के आयोजन की अनुमति अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद एआईसीटीई द्वारा प्रदान की गई, और उत्तरी क्षेत्र से इस आयोजन के लिए चुना गया एकमात्र संस्थान गलगोटिया विश्वविद्यालय रहा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एआईसीटीई के चेयरमैन प्रो. टी. जी. सीताराम ने अपने संबोधन में भारत की कृत्रिम बुद्धिमत्ता नीति, मानव सशक्तिकरण और नैतिक तकनीकी विकास पर जोर देते हुए बताया कि देश को ऐसी शिक्षा और तकनीक की आवश्यकता है जो समावेशी हो और भविष्य की पीढ़ियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर सके। गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में ऑनलाइन शामिल हुए भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, वडोदरा के निदेशक डॉ. धमेंद्र सिंह ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका को राष्ट्रीय विकास, उद्योग परिवर्तन और रोजगार सृजन से जोड़ते हुए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। एआईसीटीई के कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं भारतीय ज्ञान प्रणाली निदेशक, डॉ. अमित दत्ता ने शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उपयोगिता, मशीन लर्निंग की अवधारणाओं, और भारत में विकसित हो रहे डिजिटल ज्ञान ढांचे पर अपना दृष्टिकोण साझा किया।गलगोटिया विश्वविद्यालय के चांसलर सुनील गलगोटिया ने भारत की राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता दृष्टि पर बात करते हुए कहा कि आने वाला समय मानव बुद्धि और कृत्रिम बुद्धिमत्ता की संयुक्त शक्ति से संचालित होगा, और विश्वविद्यालय इसी दिशा में विद्यार्थियों को भविष्य-उन्मुख कौशल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। विश्वविद्यालय में स्थापित एआई प्रयोगशाला के बारे में बताते हुये अन्तराष्ट्रीय मानको के आधार पर उपयोग हो रहे यूजकेसेज का जिक्र किया। इस सम्मेलन और पूर्व-सम्मेलन में अमेज़न, आईबीएम कंसल्टिंग सहित अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विशेषज्ञों ने भाग लिया और निर्णय-सहायक प्रणालियों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग, रोजगार बाजार में हो रहे तीव्र बदलाव, डेटा में पक्षपात से बचाव, और तकनीकी पारदर्शिता तथा जवाबदेही जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत चर्चा की। प्रतिभागियों ने यह भी समझा कि किस प्रकार भारत को भविष्य की बुद्धिमान तकनीकों के निर्माण में अग्रणी बनाने के लिए मजबूत मानव संसाधन, व्यावहारिक प्रशिक्षण और अनुसंधान-आधारित शिक्षा अनिवार्य है।कार्यक्रम का एक विशेष सत्र राम मंदिर परियोजना के चार दशक लंबे सिविल इंजीनियरिंग कार्य पर केंद्रित रहा, जिसमें तकनीकी दृष्टियों के साथ-साथ यह बताया गया कि बड़े राष्ट्रीय परियोजनाओं में डेटा-आधारित निर्णय और कृत्रिम बुद्धिमत्ता किस प्रकार सहायक हो सकती है। डॉ. अरिप्त भारद्वाज द्वारा संचालित कृत्रिम बुद्धिमत्ता नैतिकता सत्र में आधार और पैन जैसे वास्तविक उदाहरणों के माध्यम से तकनीकी चुनौतियों, गोपनीयता, नागरिक अधिकारों और जवाबदेही से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाई गई। साथ ही, विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कृत्रिम बुद्धिमत्ता कार्यशालाएँ, इंटर्नशिप, प्रमाणपत्र कार्यक्रम, फैकल्टी विकास योजनाएँ, नवाचार क्लब और हैकाथॉन जैसी गतिविधियों के महत्व पर भी विस्तार से चर्चा हुई। गलगोटिया विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. ध्रुव गलगोटिया की दूरदर्शी शैक्षिक सोच और संस्थान के सुदृढ़ नेतृत्व ने इस आयोजन को राष्ट्रीय स्तर पर अत्यंत प्रभावशाली बनाया, जिसमें 6000 से अधिक प्रतिभागियों ने हाइब्रिड मोड में सक्रिय रूप से भाग लिया। इस पूरे आयोजन ने यह स्पष्ट किया कि भारत जिम्मेदार कृत्रिम बुद्धिमत्ता विकास का समर्थक और नेतृत्वकर्ता राष्ट्र बनने की दिशा में गंभीरतापूर्वक आगे बढ़ रहा है, और गलगोटिया विश्वविद्यालय इस यात्रा का एक प्रमुख स्तंभ बनकर उभर रहा है।



