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फैमिली डिस्प्यूट रिसोल्युशन क्लीनिक को हुए तीन साल,ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क थाने में मनाया गया स्थापना दिवस।

फैमिली डिस्प्यूट रिसोल्युशन क्लीनिक को हुए तीन साल,ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क थाने में मनाया गया स्थापना दिवस।

शफी मौहम्मद सैफी

ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। इसमें खास तरह का क्लीनिक भी शामिल है। जिसे नॉलेज थाना में शारदा यूनिवर्सिटी के सहयोग से खोला गया । जिसका नाम फैमिली डिस्प्यूट रिसोल्युशन क्लीनिक कहा गया है। जहां पति पत्नी के बीच हुए विवाद को बिना कानूनी कार्रवाई के खत्म किया जाता है। इसको आज तीन वर्ष हो गए । शुक्रवार को जिसका तीसरा स्थापना दिवस मनाया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह, ज्वाइंट कमिश्नर बबलू सिंह का शारदा यूनिवर्सिटी के प्रो चांसलर वाईके गुप्ता ने स्वागत किया।

शारदा विश्वविद्यालय के डायरेक्टर पीआर डॉ अजीत कुमार ने बताया कि विवाहित जोड़ों के बीच घरेलू हिंसा के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए विश्वविद्यालय और गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क पुलिस स्टेशन में एक पारिवारिक विवाद समाधान (एफडीआरसी) क्लिनिक तीन साल पहले स्थापित किया है। इस दौरान 1088 मामले आए जिनमें से 879 मामले का सफल निवारण शारदा विश्वविद्यालय की टीम ने किया। । जिसका 87 प्रतिशत लगभग सफलता प्राप्त हुई है। हर वर्ष विवादों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसको कुछ नए कदम उठाए जा रहे है।विश्वविद्यालय के प्रो चांसलर वाईके गुप्ता ने कहा कि इस क्लिनिक को बेहतर बनाने के लिए पुलिसकर्मी और स्टाफ की ओर काम कर रहे है। हमारा सपना ऐसा की हम ऐसे स्टूडेंट्स दे जो समाज की बेहतरी और सेवा के लिए काम कर सके। एफडीआरसी में मनोवैज्ञानिक और लॉ विभाग अहम भूमिका निभा रहे।बिना एफआईआर से मामलों को सुलझाना काबिले तारिफ है। सप्ताह में यह क्लिनिक दो दिन चलता है हमारा यह प्रयास है कि इसे हम पूरे सप्ताह तक चला सके। उन्होंने कहा कि शारदा यूनिवर्सिटी में काउंसलिंग सेंटर है यहां आकर लोग अपने विवादों को सुरक्षा सकते है। इस कार्य में शारदा यूनिवर्सिटी का स्टाफ और पुलिसकर्मी बहुत अच्छा कार्य कर रहे है।

कार्यक्रम में पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने कहा कि महिलाओं को ध्यान देना चाहिए कि जितना त्याग, बलिदान और मेहनत आप कर रहे हो उतना ही पुरुष कर रहा है, अगर ये बात दोनों को समझ आ गई तो ऐसी समस्या नही आएगी। अगर परिवार टूटता है तो सभी पर असर पड़ता चाहे वो महिला हो या पुरुष। एफआईआर करना और नामजद लोगों को जेल भेजना पुलिस के लिए बहुत आसान काम है। किसी टूटते हुए परिवार को जोड़ना बहुत महत्वपूर्ण कार्य है। विशेषज्ञों द्वारा उचित परामर्श प्रदान किया जाता है ताकि एफआईआर दर्ज करने के बजाय एक लंबा समाधान खोजा जा सके। शारदा विश्वविद्यालय और अस्पताल के कानूनी, मनोचिकित्सक और मनोविज्ञान विभागों के तीन संकाय सदस्यों और पुलिसकर्मियों के साथ सलाह ले रहे है।

ये लोग हुए सम्मानित

एफडीआरसी क्लिनिक में कार्य करने वाले शारदा यूनिवर्सिटी के स्टॉफ रितू गौतम, डॉ अर्चना धनकर,डॉ अविनाश के गोस्वामी,डॉ संचिता, भावना उपाध्याय, डॉ रुचि गौतम, डॉ किरण शर्मा, डॉ शिवानी चौहान वहीं पुलिसकर्मी गायत्री यादव, मधु सिंह, सोनम और प्रेम लता चौधरी को पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह और शारदा विश्वविद्यालय के प्रो चांसलर वाईके गुप्ता ने सम्मानित किया।

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