ईपीसीएच ने यूएस टैरिफ संकट से निपटने के लिए पूजा अनुष्ठान के माध्यम से ईश्वरीय आशीर्वाद की कामना की । बढ़ती निर्यात चुनौतियों के बीच परिषद ने सरकार से आपातकालीन सहायता का किया आग्रह
ईपीसीएच ने यूएस टैरिफ संकट से निपटने के लिए पूजा अनुष्ठान के माध्यम से ईश्वरीय आशीर्वाद की कामना की
बढ़ती निर्यात चुनौतियों के बीच परिषद ने सरकार से आपातकालीन सहायता का किया आग्रह
दिल्ली/एनसीआर।एकता, विश्वास और आत्मबल की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति में, हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) ने नई दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में एक पूजा अनुष्ठान (अनुष्ठान प्रार्थना समारोह) का आयोजन किया, जिसमें भारतीय हस्तशिल्प क्षेत्र को संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए पारस्परिक शुल्कों से उत्पन्न विकट चुनौतियों से उबरने में मदद के लिए दिव्य आशीर्वाद की कामना की गई।परिषद के वरिष्ठ अधिकारियों, कर्मचारियों और हस्तशिल्प समुदाय के सदस्यों की बड़ी संख्या में लगभग 300 लोगों ने भाग लिया इस औपचारिक प्रार्थना सभा ने इस अशांत काल में लाखों हस्तशिल्प निर्यातकों और कारीगरों के हितों की रक्षा के लिए ईपीसीएच की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाया। यह प्रार्थना सभा आध्यात्मिक एकजुटता का प्रतीक होने के साथ-साथ भारत की सांस्कृतिक और शिल्प विरासत की स्थायी शक्ति की याद भी दिलाती है।
इस अवसर पर बोलते हुए, ईपीसीएच के अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने कहा कि, “अमेरिका द्वारा लगाया गया 50% टैरिफ भारत के हस्तशिल्प निर्यातकों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। अमेरिका हमारा सबसे बड़ा बाजार है, जिसका 1.57 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात और हमारे कुल वैश्विक निर्यात का लगभग 40% हिस्सा है, और यह तीव्र वृद्धि हमारे एमएसएमई पर भारी दबाव डालती है। उन्होंने आगे कहा, “जहाँ हम कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर लगातार प्रयासरत हैं, वहीं आज का पूजा अनुष्ठान हमारे सामूहिक विश्वास और दिव्य शक्ति में आस्था का प्रतीक था। भारतीय हस्तशिल्प क्षेत्र ने इससे पहले भी कई संकटों का सामना किया है और हमें विश्वास है कि ईश्वर की कृपा से हम इस बार भी और अधिक मजबूती से उभरेंगे।”
इसी भावना से ईपीसीएच के महानिदेशक की भूमिका में मुख्य संरक्षक और आईईएमएल के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा, “वैश्विक अनिश्चितता और बदलते व्यापारिक परिदृश्य के दौर में, भारत के हस्तशिल्प क्षेत्र की रक्षा के लिए तत्काल सहायता उपाय लागू करना आवश्यक है। लेकिन आर्थिक मजबूती के साथ-साथ हमें अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जड़ों से भी शक्ति प्राप्त करनी होगी।” डॉ. कुमार ने आगे कहा, “आज आयोजित पूजा अनुष्ठान एक औपचारिक आयोजन से कहीं बढ़कर था, यह एकता, चिंतन और संकल्प का क्षण था। हमें आशा है कि समय पर सरकारी हस्तक्षेप और सामुदायिक एकजुटता से यह क्षेत्र और भी मज़बूत होगा।”
ईपीसीएच के मुख्य संयोजक अवधेश अग्रवाल ने कहा, “यह पूजा अनुष्ठान न केवल एक आध्यात्मिक भाव था, बल्कि एकता और अपनी शक्तियों में अटूट विश्वास की अभिव्यक्ति भी था। हमारे कारीगरों और निर्यातकों ने पहले भी कई कठिनाइयों का सामना किया है और हमें विश्वास है कि समय पर मिले सहयोग से वे इस बार भी सफल होंगे।”
ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री आर. के. वर्मा ने कहा, “शुल्क वृद्धि एक गंभीर चुनौती है, लेकिन एक महत्वपूर्ण मोड़ भी है। हमने सरकार से एक आपातकालीन राहत कोष बनाने, बढ़ी हुई दरों के साथ एमईआईएस को फिर से लागू करने, आरओडीटीईपी और शुल्क वापसी लाभों में सुधार करने और माल ढुलाई सब्सिडी देने का आग्रह किया है। हम अमेरिका को निर्यात पर 10% लागत समकारी छूट, आयकर अधिनियम में 80एच्एच्सी की बहाली, दो साल की ऋण स्थगन और अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में तेज़ी लाने की भी मांग कर रहे हैं। साथ ही, ईपीसीएच हस्तशिल्प क्षेत्र के लिए बाज़ार विविधीकरण और दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मकता पर भी काम कर रहा है।”हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद देश से हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने और देश के विभिन्न शिल्प समूहों में घरेलू, जीवनशैली, वस्त्र, फर्नीचर और फैशन आभूषण एवं सहायक उत्पादों के उत्पादन में लगे लाखों शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों के जादू की ब्रांड छवि बनाने के लिए एक नोडल संस्थान है। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री आर. के. वर्मा ने बताया कि वर्ष 2024-25 के दौरान कुल हस्तशिल्प निर्यात 33,123 करोड़ रुपये (3,918 मिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा और वर्ष 2024-25 के दौरान अमेरिका को हस्तशिल्प निर्यात 12,814.73 करोड़ रुपये (1,518.18 मिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा I