जनपद न्यायाधीश एवं जिलाधिकारी ने जिला कारागार का किया संयुक्त निरीक्षण,कारागार में बंदियों हेतु की गई मूलभूत सुविधाओं और प्रशिक्षण की व्यवस्थाओं का लिया जायजा। बंदियों से संवाद कर, बच्चों को वितरित किए गए उपहार
जनपद न्यायाधीश एवं जिलाधिकारी ने जिला कारागार का किया संयुक्त निरीक्षण,कारागार में बंदियों हेतु की गई मूलभूत सुविधाओं और प्रशिक्षण की व्यवस्थाओं का लिया जायजा।
बंदियों से संवाद कर, बच्चों को वितरित किए गए उपहार
गौतमबुद्धनगर।जनपद के उच्चाधिकारियों द्वारा बंदियों के जीवन में सुधार और कारागार की समग्र व्यवस्थाओं को और अधिक प्रभावशाली बनाने के उद्देश्य से संयुक्त रूप से सकारात्मक पहल की जा रही है। इसी क्रम में जनपद न्यायाधीश गौतमबुद्धनगर मलखान सिंह एवं जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने संयुक्त रूप से जिला कारागार गौतम बुद्ध नगर का स्थलीय निरीक्षण किया।निरीक्षण के दौरान दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने बैरक परिसर, कार्यालय भवन, मेस, स्वच्छता इकाई, प्रशिक्षण केंद्र, पुस्तकालय, सांस्कृतिक कक्ष, वर्मी कंपोस्ट इकाई एवं जेल ग्रीन थेरेपी स्थल सहित पूरे कारागार परिसर का गहन निरीक्षण किया। इस अवसर पर जेल अधीक्षक द्वारा कारागार में संचालित विभिन्न सुधारात्मक, पुनर्वास एवं आत्मनिर्भरता से संबंधित गतिविधियों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई।निरीक्षण की शुरुआत जेल परिसर के सभागार से हुई, जहां न्यायाधीश एवं जिलाधिकारी ने महिला बैरक में रह रही बंदियों से संवाद किया।
उन्होंने बंदी महिलाओं से उनकी दिनचर्या, समस्याएं एवं आवश्यकताओं के बारे में जानकारी प्राप्त की। इस दौरान उनके साथ रह रहे छोटे बच्चों को खिलौने एवं अन्य उपयोगी सामग्री भी भेंट की गई, जिससे वहां मानवीय संवेदनाओं की झलक देखने को मिली।
बंदी महिलाओं से वार्ता करने के उपरांत कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र एवं सैलून कक्ष का दौरा किया। वहां प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे बंदियों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत कर उनके अनुभव, कौशल विकास और सजा से जुड़े तथ्यों की जानकारी प्राप्त की। जनपद न्यायाधीश ने प्रशिक्षण ले रहे बंदियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हुए भविष्य में उपयोगी बनाने योग्य स्किल्स सीखने पर बल दिया। जनपद न्यायाधीश एवं जिलाधिकारी द्वारा पुस्तकालय, आर्ट एंड डांस रूम तथा इंडिया विजन फाउंडेशन द्वारा संचालित एलईडी एवं इलेक्ट्रिकल प्रशिक्षण कक्ष का अवलोकन किया गया। उन्होंने बंदियों द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे चित्रकला, गायन, नृत्य तथा सांस्कृतिक गतिविधियों को देखकर प्रसन्नता जताई और ऐसे प्रयासों को बंदियों के मानसिक और रचनात्मक विकास की दिशा में प्रभावी बताया।निरीक्षण के दौरान जेल की समग्र सुरक्षा व्यवस्था, सीसीटीवी निगरानी, आपातकालीन प्रबंधन प्रणाली एवं कर्मचारियों की कार्यप्रणाली का भी गहन परीक्षण किया गया। अधिकारियों ने कहा कि कारागार में सतत निगरानी व्यवस्था, तकनीकी उन्नयन एवं कर्मियों की संवेदनशीलता सुधार की दिशा में कारगर साबित हो रही है। जनपद न्यायाधीश एवं जिलाधिकारी ने कारागार प्रशासन द्वारा सुधारात्मक गतिविधियों एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों के संचालन की सराहना की और बंदियों के सामाजिक पुनर्वास हेतु निरंतर कार्य करते रहने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि जेल सिर्फ दंड देने की जगह नहीं, बल्कि जीवन को दोबारा दिशा देने का केंद्र होना चाहिए।इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट मयंक त्रिपाठी, एडिशनल सीपी लॉयन ऑर्डर राजीव नारायण मिश्रा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नरेंद्र कुमार, सहायक अभियंता लोक निर्माण विभाग कंचन सिंह, जेल अधीक्षक, डिप्टी जेलर, प्रशिक्षण से जुड़े अधिकारी एवं अन्य कारागार कर्मी उपस्थित रहे।