शारदा विश्वविद्यालय में दीक्षारम्भ कार्यक्रम का हुआ आयोजन
शारदा विश्वविद्यालय में दीक्षारम्भ कार्यक्रम का हुआ आयोजन
ग्रेटर नोएडा।नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय में फ्रेशर्स के लिए दीक्षारंभ कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्देश्य नए छात्रों को नए परिवेश में सहज महसूस कराने, उनमें संस्थान की विशिष्ट प्रकृति तथा संस्कृति को सिखाने, अन्य छात्रों और संकाय सदस्यों के साथ एक संबंध बनाने तथा उन्हें व्यापक उद्देश्य तथा स्वयं की खोज की भावना से परिचित कराना है । मुख्य अतिथि पूर्व प्रमुख सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा, बीएसएफ के पूर्व डीआईजी नरेंद्र नाथ दुबे, पूर्व सिविल सर्वेंट डॉ तन्नू जैन,विश्वविद्यालय के प्रो चांसलर वाइके गुप्ता,वाइस चांसलर डॉ सिबाराम खारा ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।कार्यक्रम में पूर्व प्रमुख सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि आप लोग बहुत लक्की है कि जो आपने वर्ल्ड क्लास विश्वविद्यालय को चुना है। छात्रों के साथ साथ शिक्षकों को भी शिक्षा के महत्व के बारे में समझाया । उन्होंने शिक्षकों से अनुरोध किया की वो भी समय के साथ साथ अपने ज्ञान में निरंतर वृद्धि करते रहे और नए नए अनुसंधान करते रहे । शिक्षा और राष्ट्र के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका का वर्णन किया। उन्होंने भारत की उच्च उपयोगिता वाले युवा शक्ति के महत्व पर जोर दिया और बताया कि उनके पास पूरे विश्व में अवसर हैं। उन्होंने स्वस्थ और खुश रहने और सफलता प्राप्त करने के लिए अच्छी आदतों, अनुशासन, सकारात्मकता और जीवन शैली के कई अन्य पहलुओं पर जोर दिया। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के बारे भी बताया। बीएसएफ के पूर्व डीआईजी नरेंद्र नाथ ने संबोधन में जीवन के छोटे-छोटे उदाहरण देकर नियमित शिक्षा व दूरस्थ शिक्षा में अंतर समझाया। उन्होंने कहा कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान का होना भी परम आवश्यक है। हम अपने नैतिक मूल्यों, कर्तव्यों, संस्कारों का ध्यान रखें। सर्वोत्तम शिक्षा केवल पुस्तकों से नहीं अपितु जीवन के हर अनुभव से प्राप्त होती है। पूर्व सिविल सर्वेंट डॉ तन्नू जैन ने कहा कि विद्यार्थी जीवन तपस्या का जीवन है। हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास, संकल्प और कठिन परिश्रम के साथ आगे बढ़ना होगा। हमारा आत्मविश्वास मजबूत होगा तो हम जीवन में असंभव को भी संभव कर सकते हैं। जीवन में असंभव जैसा कुछ भी नहीं होता है।इस दौरान विश्वविद्यालय के प्रो चांसलर वाइके गुप्ता ने छात्रों को कहा कि आप अपने क्रिएटिव आइडिया लेकर आए जिसमें यूनिवर्सिटी आइडिया को धरातल पर लाने के लिए मदद करेगी और किस तरह आप उससे सोसायटी हेल्प कर सकते है। कहा कि विश्वविद्यालय का मूल उद्देश्य ज्ञान पैदा करना है, आपको यह देखने की जरूरत है कि उस ज्ञान को मानव समाज में कैसे लाया जा सकता है। किताबी ज्ञान हमेशा रहेगा लेकिन जिज्ञासा को आजमाएं, जिज्ञासा आपको आगे ले जाएगी। निरंतर सीखना और सुधार करना सभी के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हम सीखने वाले हैं, हर किसी को अपने पिछले अनुभव से सीखना चाहिए। विद्यार्थियों को यह भी सीखना चाहिए कि सफलता से कैसे उबरें। असफलताएं अनुसंधान का हिस्सा हैं और हर कोई सक्षम है। मुख्य बात उचित मार्गदर्शन और मार्गदर्शन प्राप्त करना है। उन्होंने कहा कि हमने स्नातक और स्नातकोत्तर का पाठ्यक्रम नई शिक्षा पद्धति के अनुरूप तैयार किया है। हम अपने छात्रों को श्रेष्ठ नागरिक बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। आज समाज में नैतिक मूल्य, परंपराओं का पतन हो रहा है। हिंदी हमारी मातृभाषा है, राष्ट्रभाषा है। साहित्य के विद्यार्थी का यह पहला उद्देश्य बन जाता है कि वह अपने सर्वांगीण विकास के साथ-साथ अपनी संस्कृति, मूल्यों और परंपराओं का भी संवर्धन करें।इस दौरान प्रो वाइस चांसलर डॉ परमानंद, रजिस्ट्रार डॉ विवेक कुमार गुप्ता,डॉ राजीव गुप्ता,डॉ आरसी सिंह, डॉ भुवनेश कुमार समेत डीन और एचओडी मौजूद रहे।