आई०टी०एस० डेंटल कॉलेज में बच्चों के दाँतों के इलाज के आधुनिक तरीके पर एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन ।
आई०टी०एस० डेंटल कॉलेज में बच्चों के दाँतों के इलाज के आधुनिक तरीके पर एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन ।
“बच्चों के दाँतों की समस्याओं को हल्के में न ले अभिभावक ” – डॉ० मौसमी गोस्वामी
ग्रेटर नोएडा। आई0टी0एस0 डेंटल कॉलेज, ग्रेटर नोएडा में संस्थान के पीडोडोंटिक्स विभाग द्वारा बच्चों के दाँतों के इलाज के आधुनिक तकनीक पर एक दिवसीय कार्यशाला का अयोजन किया गया, जिसमें संस्थान के सभी दंत चिकित्सकों, विद्यार्थियों साथ-साथ आस-पास के अन्य दंत संस्थानों एवं चिकित्सकों सहित लगभग 120 से अधिक लोगों ने भाग लिया ।
इस अवसर पर संस्थान के पीडोडोंटिक्स विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ० मौसमी गोस्वामी ने बताया कि बच्चों के दूध के दाँतों में भी बीमारियां शुरू हो जाती है, जिसे अभिभावकों को कभी भी नजर अन्दाज नहीं करना चाहिए।डॉ० गोस्वामी ने बताया कि आधुनिक दंत – चिकित्सका में बच्चों को इलाज के दौरान एम०टी०ए० एपेक्सिफिकेशन, आर०सी०टी० आदि के माध्यम से इलाज किया जाता है।इस अवसर पर कार्यशाला के मुख्य वक्ता सविता डेंटल कॉलेज के प्रो० डॉ० मुकल एस० जैन ने बताया कि बच्चों को दाँतों के इलाज के दौरान एक ही बार जिरकोनिया काउन बायोफिक्स बच्चों के दुधमुहे दांतों पर भी लगाया जा सकता है, जो ठीक दाँतों के ही रंग का होता है, और इसको लगाने में भी कोई समस्या नहीं होती है, तथा खर्च भी कम होता है। इसके अतिरिक्त डॉ० जैन ने बच्चों के समय से पहले निकाले गये दुधमुहे दाँतों की जगह को यथास्थित में बने रहने के लिये ई- स्पेश मेनटेनर के विद्या के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की तथा बताया कि इसको मरीजों के दाँतों में एक ही बार फिट किया जा सकता है।इस अवसर पर संस्थान के प्रधानाचार्य डॉ० सचित आनंद अरोरा ने बताया कि डॉ० जैन स्मार्ट “जिरकोनिया क्राऊन बायोफिक्स” के जनक भी है।डॉo अरोरा ने उम्मीद जताई कि कार्यशाला में उपस्थित सभी चिकित्सकों को इससे काफी फायदा होगा तथा भविष्य में इस विद्या का उपयोग मरीजों के इलाज के दौरान आसानी से कर सकेगें ।इस अवसर पर आई०टी०एस० ‘द एजूकेशन ग्रुप’ के उपाध्यक्ष सोहिल चड्ढा ने कार्यशाला में शामिल सभी चिकित्सकों एवं विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि संस्थान दंत चिकित्सका के क्षेत्र में आ रहे हर नये-नये आधुनिक इलाज के तरीकों से मरीजों का इलाज हेतु प्रतिबद्ध है, जिसके लिए संस्थान में नियमित रूप से इस तरह की कार्यशाला का आयोजन किया जाता रहता है।