शारदा विश्वविद्यालय को शिक्षा क्षेत्र में अहम योगदान के लिए मिले पुरस्कार
शारदा विश्वविद्यालय को शिक्षा क्षेत्र में अहम योगदान के लिए मिले पुरस्कार
ग्रेटर नोएडा ।दिल्ली के विज्ञान भवन में उच्च शिक्षा और कौशल विकास को विकसित भारत की ओर ले जाने पर दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और शिक्षा उत्कृष्टता पुरस्कार समारोह का आयोजन वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय,भारत सरकार,सर्विसेस एक्सपोर्ट प्रमोशनल काउंसिल ने किया। इसमें लगभग 250 विश्वविद्यालयों ने हिस्सा लिया। ग्रेनो के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय को तीन पुरस्कार मिलें। विश्वविद्यालय के चांसलर पीके गुप्ता को उच्च शिक्षा में उत्कृष्ट नेतृत्व, वाइस चांसलर डॉ सिबाराम खारा को शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए वर्ष का सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय और डॉ अशोक दरयानी को अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के अनुकरणीय निदेशक का पुरस्कार मिला। समारोह में नीति आयोग डॉ शशांक शाह,एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटी की डॉ पंकज मित्तल, पद्म श्री प्रोफेसर आशुतोष शर्मा आदि गणमान्य लोग मौजूद रहे।
विश्वविद्यालय के चांसलर पीके गुप्ता ने कहा कि शिक्षा और विशेष रूप से उच्च शिक्षा का देश की स्थायी आजीविका और आर्थिक विकास की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान है। उच्च शिक्षा के माध्यम से एक व्यक्ति अपने चरित्र का निर्माण करता है। बौद्धिक क्षमता और रचनात्मकता को बढ़ाता है जो किसी भी राष्ट्र की वृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारत और अफ्रीका दोनों में युवा आबादी है और युवा अपनी आकांक्षाओं और सपनों को पूरा करने के लिए गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा और बेहतर रोजगार के अवसरों की माँग करते हैं। आज, बाजार की जरूरतों के अनुरूप प्रासंगिक कौशल के साथ गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्रदान करना सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है।विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर ने कहा कि 2030 तक हासिल किए जाने वाले सतत विकास लक्ष्य भी, समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करने और सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत 55,000 से अधिक शिक्षण संस्थानों के माध्यम से अपने आकांक्षी युवाओं को उच्च शिक्षा प्रदान कर रहा है। भारत सरकार ने जुलाई 2020 में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति शुरू की जो 21वीं सदी के भारत के युवाओं के लिए आवश्यक कौशल पर केंद्रित है। भारत को उसकी स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की एक दूरदर्शी पहल है। प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पर केंद्रित, इसका उद्देश्य समग्र, सतत विकास, असमानताओं को कम करना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है।