मुंबई में आयोजित यूपीआईटीएस रोड शो में, महाराष्ट्र सरकार के विकास आयुक्त (उद्योग) दीपेंद्र सिंह कुशवाह ने की हस्तशिल्प उद्योग में ईपीसीएच के प्रयासों और योगदान की सराहना
मुंबई में आयोजित यूपीआईटीएस रोड शो में, महाराष्ट्र सरकार के विकास आयुक्त (उद्योग) दीपेंद्र सिंह कुशवाह ने की हस्तशिल्प उद्योग में ईपीसीएच के प्रयासों और योगदान की सराहना
महाराष्ट्र सरकार ने प्रशिक्षण एवं विकास केंद्रों की स्थापना के लिए बुनियादी ढाँचागत सहायता प्रदान की
दिल्ली/ग्रेटर नोएडा ।अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना के नेतृत्व में ईपीसीएच के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने महाराष्ट्र सरकार के विकास आयुक्त (उद्योग) दीपेंद्र सिंह कुशवाह, आईएएस से मुलाकात की। बैठक के दौरान ईपीसीएच के मुख्य संयोजक अवधेश अग्रवाल, ईपीसीएच सीओए के सदस्य अध्यक्ष रवि कुमार पासी और ईपीसीएच के पश्चिमी क्षेत्र संयोजक प्रदीप मुछाला भी उपस्थित रहे ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया।बैठक के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने महाराष्ट्र में हस्तशिल्प प्रशिक्षण केंद्र विकसित करने की संभावनाओं पर चर्चा की जिससे राज्य से हस्तशिल्प निर्यात में वृद्धि होगी। बैठक के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र के तीन प्रमुख शहरों – मुंबई, ठाणे और पुणे में हस्तशिल्प नवाचार, डिज़ाइन विकास, प्रौद्योगिकी उन्नयन और कारीगर प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने के लिए ईपीसीएच को पूर्ण विकसित बुनियादी ढाँचा प्रदान करने में सहायता देने की घोषणा की।मुंबई में आयोजित यूपीआईटीएस रोड शो में, महाराष्ट्र सरकार के विकास आयुक्त (उद्योग) दीपेंद्र सिंह कुशवाह ने हस्तशिल्प उद्योग में ईपीसीएच के प्रयासों और योगदान की सराहना की।
उन्होंने आगे घोषणा की कि महाराष्ट्र सरकार ईपीसीएच को अत्याधुनिक इनक्यूबेशन केंद्र स्थापित करने के लिए मुंबई, ठाणे और पुणे में पूर्ण बुनियादी ढाँचागत सहायता प्रदान करेगी। इन केंद्रों में हस्तशिल्प क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन और नवाचार सुविधाएँ, कौशल विकास कार्यक्रम और अन्य पहल शामिल होंगी।ईपीसीएच के उपाध्यक्ष सागर मेहता भी मुंबई में यूपीआईटीएस रोड शो में शामिल हुए।ईपीसीएच के अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने कहा, “हम महाराष्ट्र सरकार और आईएएस दीपेंद्र सिंह कुशवाह के आभारी हैं जिन्होंने राज्य में हस्तशिल्प पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने में सक्रिय सहयोग दिया है। मुंबई, ठाणे और पुणे में हस्तशिल्प नवाचार, डिज़ाइन विकास, प्रौद्योगिकी उन्नयन और कारीगर प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने के लिए पूर्ण विकसित बुनियादी ढाँचा प्रदान करने की प्रतिबद्धता एक ऐतिहासिक कदम है। ये अत्याधुनिक केंद्र न केवल कौशल विकास और डिज़ाइन नवाचार को बढ़ावा देंगे, बल्कि कारीगरों और उद्यमियों को सशक्त भी बनाएंगे और भारत के हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ावा देंगे। ईपीसीएच इन पहलों को सफल बनाने और कारीगरों के लिए स्थायी अवसर पैदा करने के लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर है।”डॉ. खन्ना ने दीपेंद्र सिंह कुशवाह को आगामी 60वें आईएचजीएफ दिल्ली मेले – ऑटम 2025 में अतिथि के रूप में आने का निमंत्रण भी दिया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद, देश से हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने और देश के विभिन्न शिल्प समूहों में घरेलू, जीवनशैली, वस्त्र, फर्नीचर और फैशन आभूषण एवं सहायक उत्पादों के उत्पादन में लगे लाखों शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों की कला की ब्रांड छवि बनाने के लिए एक नोडल संस्थान है। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि वर्ष 2024-25 के दौरान कुल हस्तशिल्प निर्यात 33,123 करोड़ रुपये (3,918 मिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा।