ईपीसीएच अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने महाराष्ट्र से हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र सरकार के विकास आयुक्त (उद्योग) से की मुलाकात की
ईपीसीएच अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने महाराष्ट्र से हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र सरकार के विकास आयुक्त (उद्योग) से की मुलाकात की
हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ाने में तेजी लाने के लिए डॉ. नीरज खन्ना ने महाराष्ट्र उद्योग आयुक्त से की मुलाकात
ईपीसीएच ने हस्तशिल्प निर्यात क्षमता बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र सरकार के साथ की बैठक
ग्रेटर नोएडा/मुंबई ।हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) के अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने आज ईपीसीएच इंडिया के मुख्य संयोजक अवधेश अग्रवाल, सीओए के सदस्य रवि पासी और प्रदीप मुछल्ला के साथ, अशोक बूब, प्रमुख सदस्य निर्यातक, महाराष्ट्र सरकार में विकास आयुक्त (उद्योग) आईएएस दीपेंद्र सिंह कुशवाहा से मुंबई स्थित मंत्रालय में मुलाकात की. डॉ. नीरज खन्ना ने बताया कि यह बैठक महाराष्ट्र में हस्तशिल्प क्षेत्र के विकास और संवर्धन के लिए रणनीतियों पर चर्चा करने और देश से हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ाने पर केंद्रित विस्तृत सुझाव प्रस्तुत करने के लिए आयोजित की गई थी।
इस बैठक के दौरान डॉ. नीरज खन्ना ने भारत के हस्तशिल्प निर्यात में महाराष्ट्र के महत्वपूर्ण योगदान पर रोशनी डाली और राज्य के समृद्ध विरासत का बखान किया, जो ट्राइबल जूलरी, वर्ली पेंटिंग, म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्, बांस और नारियल के खोल से बनाए जाने वाले शिल्प, पॉटरी, अजंता पेंटिंग आदि जैसे शिल्प उत्पादों की विविधता में स्पष्ट तौर पर दिखती है।डॉ. नीरज खन्ना ने ईपीसीएच की ओर से औपचारिक प्रस्तावों को प्रस्तुत किया, जिसमें राज्य में सदस्य निर्यातकों और कारीगरों के सामने आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए कार्रवाई योग्य सुझाव को रेखांकित किया गया है. इसकी मुख्य सिफारिशों में शामिल हैंः हस्तशिल्प निर्यात क्षेत्र के लिए निर्यात नीति। • उन्नत एमडीए योजना: • ई-कॉमर्स निर्यात सहायता: • माल ढुलाई सब्सिडी: • एक्सपोर्ट क्रेडिट इन्श्योरेंस रिम्बर्समेंट: • ब्याज सब्सिडी: • डिजाइन डेवलपमेंट सहायता: • अनुपालन ग्रांट: • प्लग एंड प्ले इन्फ्रास्ट्रक्चर: • राज्य योजनाओं में शामिल करना: महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन एवं सहायता, ओडीओपी और भौगोलिक संकेत (जीआई) उत्पादों को प्रोत्साहन।
बैठक के दौरान, मुंबई, ठाणे और पुणे जैसे शहरों में इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित करके हस्तशिल्प क्षेत्र में विकास की संभावनाओं पर चर्चा की गई और महाराष्ट्र के हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए 7 लाख वर्ग फुट का पूर्ण निर्माण क्षेत्र उपलब्ध कराने हेतु ईपीसीएच के साथ एक समझौता ज्ञापन (ट्राई-पोर्ट एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर करने का सुझाव दिया गया। डॉ. खन्ना ने बताया कि इन इनक्यूबेशन सेंटरों में हस्तशिल्प के विकास को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन सुविधाएँ, कौशल विकास कार्यक्रम और अन्य पहल शामिल होंगी।इस बैठक के दौरान, सीओए के सदस्य अवधेश अग्रवाल, मुख्य संयोजक, ईपीसीएच इंडिया और रवि पासी, Member-CoA ने महाराष्ट्र सरकार को 13-17 अक्टूबर 2025 तक होने वाले आगामी 60वें आईएचजीएफ दिल्ली मेला- ऑटम 2025 में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए आमंत्रित किया, जहां महाराष्ट्र के शिल्प क्षेत्र के थीम पर आधारित उत्पादों को प्रदर्शित कर 7000 से अधिक विदेशी खरीदारों और 3000 से अधिक भारतीय निर्यातकों को दिखाए जा सकते हैं। दीपेंद्र सिंह कुशवाह, आईएएस, विकास आयुक्त (उद्योग), महाराष्ट्र सरकार ने ईपीसीएच की पहल की सराहना की और हस्तशिल्प क्षेत्र के माध्यम से विकास और रोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार के हरसंभव समर्थन का आश्वासन दिया.
ईपीसीएच प्रतिनिधिमंडल ने भारत में यूरोपीय संघ चैंबर ऑफ कॉमर्स की परिषद, मुंबई की निदेशक सुश्री रेणु शोम से भी मुलाकात की और यूरोपीय संघ में हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने की रणनीति पर चर्चा की, अग्रवाल ने बताया।
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) भारत से हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करती है. ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि इसका उद्देश्य भारत के कारीगरों के “कुशल हाथों की कला” के जादू को वैश्विक स्तर पर एक ब्रांड के तौर पर पहचान दिलाना है. ये कारीगर देशभर के विभिन्न शिल्प क्लस्टरों में होम डेकोर, लाइफस्टाइल उत्पाद, टेक्सटाइल, फर्नीचर और फैशन एक्सेसरीज समेत विविध प्रकार के उत्पादों का उत्पादन करते हैं।ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत का हस्तशिल्प निर्यात 33,123 करोड़ रुपये (3,918 मिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा