अधिकारी होने के साथ साथ लोगों के दिलों में छाए यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ अरुणवीर सिंह को दी गई शानदार विदाई
अधिकारी होने के साथ साथ लोगों के दिलों में छाए यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ अरुणवीर सिंह को दी गई शानदार विदाई
शफी मौहम्मद सैफी
ग्रेटर नोएडा। 44 वर्षों की समर्पित सेवा और उत्तर प्रदेश के विकास में अभूतपूर्व योगदान देने के बाद डॉ. अरुणवीर सिंह, ने यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण और नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी पद से विदाई ली। यह केवल एक सेवा निवृत्ति नहीं, बल्कि एक युग का अवसान था – एक ऐसा युग, जिसने उत्तर प्रदेश में सुशासन, पारदर्शिता और जनसेवा की नई परिभाषा गढ़ी।जब डॉ. सिंह ने 2016 में यमुना प्राधिकरण की कमान संभाली, तब संस्था अनेक संकटों से जूझ रही थी, योजनाओं की कमी, किसानों में असंतोष, निवेशकों का अविश्वास और आर्थिक अस्थिरता। लेकिन उन्होंने न केवल इन चुनौतियों को सुलझाया, बल्कि प्राधिकरण को राज्य की सबसे तेज़ी से लाभ कमाने वाली संस्था में बदल दिया। फिल्म सिटी, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मेडिकल डिवाइस पार्क, इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर जैसी परियोजनाएं उनके नेतृत्व में ज़मीन पर उतरीं। उनके कार्यकाल में न केवल बुनियादी ढांचे का विस्तार हुआ, बल्कि निवेश और रोज़गार में भी ऐतिहासिक वृद्धि हुई।डॉ. सिंह की कार्यशैली में अनुशासन के साथ संवेदना, और दूरदृष्टि के साथ सादगी थी। उन्होंने कभी पद का दिखावा नहीं किया, बल्कि अपने कर्मों से आदर्श स्थापित किए। एक अधिकारी के रूप में वे न केवल योजनाएं बनाते थे, बल्कि उनके क्रियान्वयन में भी सक्रिय भूमिका निभाते थे। उन्होंने हर मोर्चे पर इंसानियत को प्राथमिकता दी। यही कारण था कि जब 30 जून को उनका अंतिम दिन था, तो उन्हें विदाई देने के लिए किसान, उद्योगपति, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक, छात्र, अधिकारी और कर्मचारी सभी भावुक होकर उमड़ पड़े। यह दृश्य बताता है कि डॉ. सिंह ने एक संस्था को परिवार की तरह जिया। डॉ. अरुणवीर सिंह का सेवाकाल एक उदाहरण है कि कैसे निष्कलंक, ईमानदार और जनसेवाभावी प्रशासनिक सेवा देश को नई दिशा दे सकती है। उन्होंने हमेशा निजी स्वार्थ, राजनीतिक दबाव और प्रचार से ऊपर उठकर केवल राष्ट्रसेवा को अपना लक्ष्य बनाया। डॉ. सिंह स्वयं भी यही मानते हैं। अपने विदाई समारोह में उन्होंने कहा, “कर्तव्य मेरे लिए पूजा रहा है। अब मैं युवाओं को पढ़ाना चाहता हूं, क्योंकि उनमें ही भारत का भविष्य बसता है।” यह संकल्प बताता है कि सेवा उनके लिए कभी पद या सीमा तक सीमित नहीं रहा। देश में कुछ अफसर उदाहरण बन जाते हैं – जैसे टीएन शेषन, जिन्होंने चुनाव सुधारों की दिशा बदली, या किरण बेदी, जिन्होंने पुलिस व्यवस्था में मानवता का रंग भरा। उसी पंक्ति में डॉ. अरुणवीर सिंह का नाम भी लिया जाना चाहिए, जिन्होंने उत्तर प्रदेश की योजनाओं को सिर्फ आंकड़ों से नहीं, बल्कि संवेदना और ईमानदारी से सफल बनाया।वे हमेशा एक प्रेरणा के रूप में जिंदा रहेंगे, उस अधिकारी के रूप में, जिसने दिखाया कि कुर्सी नहीं, किरदार महत्त्वपूर्ण होता है। डॉ. सिंह जैसे अधिकारी कम ही होते हैं – जो दिखते नहीं, बस काम करते हैं। और उनके काम, खुद बोलते हैं।डॉ. अरुणवीर सिंह की कर्तव्यनिष्ठा और उत्कृष्ट नेतृत्व का प्रमाण यह भी है कि उनके निर्धारित कार्यकाल की समाप्ति के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें कई बार सेवा विस्तार दिया। यह विस्तार केवल औपचारिक निर्णय नहीं था, बल्कि इस बात की स्वीकृति थी कि डॉ. सिंह जैसे निस्वार्थ, पारदर्शी और दूरदर्शी अधिकारी का योगदान संस्था के लिए अनमोल है। यह विरला उदाहरण है जब एक अफसर की सेवाएं उसकी आयु सीमा से परे जाकर भी आवश्यक मानी गईं, जो दर्शाता है कि वे वास्तव में सेवा को साधना की तरह निभा रहे थे।।