जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च ने सेंटर फॉर आर्ट लैंग्वेज एंड कल्चरल एक्सचेंज के सहयोग से दक्षिण कोरिया के विजन कॉलेज ऑफ जोंजू के साथ एक समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर।
जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च ने सेंटर फॉर आर्ट लैंग्वेज एंड कल्चरल एक्सचेंज के सहयोग से दक्षिण कोरिया के विजन कॉलेज ऑफ जोंजू के साथ एक समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर।
शफी मौहम्मद सैफी
ग्रेटर नॉएडा। जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च ने सेंटर फॉर आर्ट लैंग्वेज एंड कल्चरल एक्सचेंज के सहयोग से दक्षिण कोरिया के विजन कॉलेज ऑफ जोंजू के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस एमओयू में दक्षिण कोरियाई विश्वविद्यालय के टीम लीडर प्रोफेसर ली सांग रोक और हेओ जियोंग वोन ने भाग लिया। इस दौरान अन्य प्रतिनिधियों में एचएईएसआई-जीएचएल के निदेशक रजनीश कुमार, कैल्स के संरक्षक डॉo राकेश कुमार और निदेशक विवेक शर्मा उपस्थित थे। यह समारोह दक्षिण कोरिया के साथ शैक्षिक संबंध बेहतर बनाने और संकाय एवं छात्र विनिमय कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया था। एमओयू समारोह की औपचारिक शुरुआत करते हुए विभाग की निदेशक डॉo सपना राकेश ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह के रूप में पौधा देकर स्वागत किया। और जीएल बजाज शैक्षिक समूह के बारे में औपचारिक परिचय दिया। प्रोफेसर ली ने दक्षिण कोरिया में अपने संस्थान उसके इतिहास और भारतीय संस्थानों से उनकी अपेक्षाओं के बारे में बताया। प्रोफेसर ली ने छात्र सभा को अभिवादन और “नमस्ते” कहकर संबोधित किया उन्होंने कहा कि भारत के प्रति उनका नजरिया सकारात्मक तरीके से बदला है प्रोफेसर ली ने कहा कि वह यहां जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च के छात्रों का दक्षिण कोरिया में स्वागत करने और उन्हें वही एहसास दिलाने के लिए आए हैं जो उन्हें यहां मिला है। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि आज दोनों संस्थानों के दीर्घकालिक संबंधों की शुरुआत हुई है। डॉo राकेश कुमार ने भी अपने अनुभव बताते हुए कहा कि भारत और दक्षिण कोरिया में भी कुछ कमजोरियां हैं और इसके लिए हम दोनों देशों की ताकत का इस्तेमाल कर आगे बढ़ना चाहते हैं। उन्होंने एक उदाहरण दिया कि भारत में हमारे पास जन सांख्यिकीय सामग्री है और दक्षिण कोरिया के पास वह नहीं है। दूसरी ओर हमारे पास कुशल जनशक्ति की कमी है जबकि दक्षिण कोरिया इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। अंत में संकाय समन्वयक डॉo सुरभि सिंह और डॉo अरविंद भट्ट ने सभी कोरियाई प्रतिनिधियों को उनकी यात्रा के लिए धन्यवाद दिया।