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जीबीयू में चार दिवसीय विपस्सना कार्यशाला का हुआ उद्घाटन।

जीबीयू में चार दिवसीय विपस्सना कार्यशाला का हुआ उद्घाटन।

ग्रेटर नोएडा। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में स्थित महात्मा जोतिबा फूले ध्यान केन्द्र में 15 नवम्बर 2024 को चारदिवसीय विपस्सना कार्यशाला का उद्घाटन हुआ। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता शैक्षणिक प्रो. एन. पी. मलकानिया ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि ध्यान, विशेष रूप से विपस्सना, मानव शरीर को मानसिक और शारीरिक आराम प्रदान करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने यह भी बताया कि मानसिक स्वास्थ्य और सन्तुलन प्राप्त करने में विपस्सना का अभ्यास अत्यावश्यक है, जिससे व्यक्ति मानसिक तनाव से मुक्ति पाकर सुख एवं शांति पूर्ण जीवनयापन कर सकता है।

कार्यक्रम में विशेष रूप से साऊथ कोरिया से पधारे कोरिया मेडीटेशन टीचर एसोसिएशन के प्रमुख, पूजनीय भन्ते धम्मदीप ने बौद्ध ध्यान साधना के विदेशों में प्रचार-प्रसार की ऐतिहासिक जानकारी साझा की। उन्होंने साऊथ कोरिया में बौद्ध ध्यान केन्द्रों की वर्तमान स्थिति पर भी प्रकाश डाला। भन्ते धम्मदीप ने अपने सम्बोधन में कहा कि विपस्सना का अभ्यास हमें मानसिक विकारों, चिन्ता और तनाव से मुक्ति दिलाने में मदद करता है। उन्होंने उपस्थित सभी प्रतिभागियों को आनापानसति का अभ्यास भी कराया।
विपस्सना कार्यशाला के समन्वयक एवं बौद्ध अध्ययन के असिस्टेंट प्रोफेसर, डॉ. मनीष मेश्राम ने इस चारदिवसीय कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की। उद्घाटन सत्र के दौरान डॉ. चन्द्रशेखर पासवान, डॉ. ज्ञानादित्य शाक्य एवं डॉ प्रियदर्शिनी मित्रा द्वारा बुद्धमूर्ति के समक्ष पुष्पार्पण और दीप प्रज्ज्वलन किया गया। कार्यक्रम में डॉ. अरविन्द कुमार सिंह ने प्रो. मलकानिया का स्वागत किया, जबकि विभागाध्यक्ष डॉ. चिन्ताला वेंकटा सिवासाई ने भन्ते धम्मदीप का स्वागत किया और धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर बौद्ध अध्ययन की शोध छात्रा कविता ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए भन्ते धम्मदीप का परिचय दिया। इस कार्यशाला में देश-विदेश से 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य, छात्र-छात्राएँ, बौद्ध अनुयायी और साधक शामिल थे।कार्यक्रम की सफलता में कन्हैया, सचिन, अजय कुमार, संदीप ढाका, नवनीत मौर्य, निशा भारती, विनय कटारिया, धर्मराज, रेखा सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी उपस्थिति द्वारा महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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