शुगर के मरीज ड्राइविंग से जुड़े ख़तरों और ग़लतफ़हमियों पर ध्यान दें जानें एक्सपर्ट डॉक्टर अमित गुप्ता से।
शुगर के मरीज ड्राइविंग से जुड़े ख़तरों और ग़लतफ़हमियों पर ध्यान दें जानें एक्सपर्ट डॉक्टर अमित गुप्ता से।
शफी मौहम्मद सैफी
ग्रेटर नोएडा। कल्पना कीजिए, आप कार चला रहे हैं, सड़कों का अंतहीन सिलसिला आपके सामने है और आज़ादी की भावना आपके दिल में। अधिकांश लोगों के लिए ड्राइविंग एक साधारण आनंद है, एक दैनिक ज़रूरत जो सुविधा, लचीलापन और आत्मनिर्भरता देती है। लेकिन उन लोगों के लिए जो डायबिटीज़ से जूझ रहे हैं, यह साधारण सा काम कुछ अनोखी चुनौतियाँ और जोखिम साथ लाता है। दुनिया भर में डायबिटीज़ की बढ़ती संख्या के साथ, यह ज़रूरी है कि हम ड्राइविंग से जुड़े ख़तरों और ग़लतफ़हमियों पर ध्यान दें।
लो ब्लड शुगर का ख़तरा।
हाइपोग्लाइसीमिया
डायबिटीज़ वाले ड्राइवरों के लिए हाइपोग्लाइसीमिया (कम ब्लड शुगर) सबसे गंभीर जोखिमों में से एक है। इसके हल्के लक्षणों में कांपना या पसीना आना शामिल हो सकता है, लेकिन अगर ब्लड शुगर ज़्यादा गिर जाए, तो इसका असर तेज़ हो सकता है। अचानक चक्कर आना, दृष्टि धुंधली होना या भ्रम की स्थिति में आना, यहां तक कि बेहोशी भी हो सकती है। अगर आप गाड़ी चला रहे हों और यह लक्षण महसूस करें, तो स्थिति तेजी से जानलेवा हो सकती है।कल्पना कीजिए, 70 मील प्रति घंटे की गति से गाड़ी चलाते हुए, अचानक आपकी दृष्टि धुंधली होने लगे। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे शराब पीकर गाड़ी चलाना—ध्यान में कमी और प्रतिक्रिया की धीमी गति दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है। इसका समाधान है, ब्लड शुगर की नियमित निगरानी। गाड़ी चलाने से पहले ब्लड शुगर की जाँच करना यह सुनिश्चित करता है कि आप सुरक्षित हैं। अपने साथ ग्लूकोज़ टैबलेट्स या जूस रखना भी मददगार साबित हो सकता है, खासकर लंबी यात्रा के दौरान।
हाई ब्लड शुगर के ख़तरे।
हाइपरग्लाइसीमिया
जहाँ हाइपोग्लाइसीमिया तेज़ी से असर दिखाता है, वहीं हाइपरग्लाइसीमिया (उच्च ब्लड शुगर) के लक्षण धीमे होते हैं। अत्यधिक ब्लड शुगर थकावट, भ्रम और गंभीर मामलों में डायबिटिक केटोसिडोसिस (DKA) जैसी स्थितियों का कारण बन सकता है। हालांकि हाइपरग्लाइसीमिया का असर उतना अचानक नहीं होता, लेकिन यह भी धीरे-धीरे ड्राइविंग को खतरनाक बना सकता है।
लगातार ग्लूकोज़ मॉनिटरिंग: CGM का महत्व
इन खतरों से निपटने के लिए कंटिन्युअस ग्लूकोज़ मॉनिटर (CGM) एक बड़ा सहारा बन सकता है। यह उपकरण वास्तविक समय में ब्लड शुगर का स्तर बताता है और अगर शुगर अधिक या कम हो रही हो, तो चेतावनी देता है। CGM का उपयोग ड्राइवरों को ब्लड शुगर में अचानक होने वाले उतार-चढ़ाव के प्रति सतर्क करता है, जिससे वे सुरक्षित जगह पर रुककर उसे नियंत्रित कर सकते हैं। इससे न केवल ड्राइविंग सुरक्षित होती है, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ता है क्योंकि उन्हें बार-बार उंगली से ब्लड टेस्ट करने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
लंबे समय तक डायबिटीज़ से जुड़ी समस्याएँ
डायबिटीज़ की पुरानी समस्याएँ जैसे न्यूरोपैथी (तंत्रिका क्षति), रेटिनोपैथी (आंखों की समस्या) और हृदय संबंधी बीमारियाँ भी ड्राइविंग को प्रभावित कर सकती हैं। रेटिनोपैथी से दृष्टि पर असर पड़ सकता है, जिससे सड़कों के संकेत या पैदल चलने वालों को देख पाना मुश्किल हो सकता है। न्यूरोपैथी पैरों और हाथों में सुन्नता पैदा कर सकती है, जिससे गाड़ी पर नियंत्रण करना कठिन हो जाता है।
मिथकों को तोड़ना
एक आम गलतफहमी यह है कि डायबिटीज़ वाले सभी लोग असुरक्षित ड्राइवर होते हैं। लेकिन सच यह है कि अधिकांश लोग, जो अपने ब्लड शुगर को सही ढंग से नियंत्रित करते हैं, सुरक्षित ड्राइविंग कर सकते हैं। वास्तविक ख़तरा बीमारी से नहीं, बल्कि उसकी अनुचित देखभाल से होता है।
सुरक्षित ड्राइविंग के लिए सुझाव
ब्लड शुगर की नियमित निगरानी: ड्राइविंग से पहले और लंबे सफर के दौरान नियमित रूप से ब्लड शुगर की जाँच करना महत्वपूर्ण है।
असुरक्षित ड्राइविंग से बचें:
अगर आप कमज़ोरी महसूस कर रहे हों या हाल में हाइपोग्लाइसीमिया का सामना किया हो, तो ड्राइविंग से बचें।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों से सलाह लें: अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से अपने ड्राइविंग और डायबिटीज़ प्रबंधन के बारे में खुलकर बात करें।
कानूनी नियमों का पालन करें: कई देशों में, ड्राइवरों को अपने डायबिटीज़ की जानकारी लाइसेंसिंग प्राधिकरण को देनी होती है। इसे छिपाने से दुर्घटना की स्थिति में कानूनी जटिलताएँ हो सकती हैं।
निष्कर्ष: स्वतंत्रता और सुरक्षा का संतुलन
डायबिटीज़ के साथ ड्राइविंग में जोखिम हैं, लेकिन सही जागरूकता, नियमित निगरानी और सावधानी बरतने से इन खतरों को कम किया जा सकता है। डायबिटीज़ वाले व्यक्ति भी आत्मनिर्भरता और ड्राइविंग की स्वतंत्रता का आनंद उठा सकते हैं, बशर्ते वे अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।