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टेम्पोरोमैंडिबुलर डिसऑर्डर को नियंत्रित करने पर तीन दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

टेम्पोरोमैंडिबुलर डिसऑर्डर को नियंत्रित करने पर तीन दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

ग्रेटर नोएडा। दिनांक 05 अगस्त से 07 अगस्त 2024 तक आई०टी०एस० डेंटल कॉलेज, हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर, 47 नॉलेज पार्क – III ग्रेटर नोएडा में ओरल मेडिसिन विभाग और प्रोस्थोडोन्टिक्स विभाग द्वारा टेम्पोरोमैंडिबुलर डिसऑर्डर को नियंत्रित करने पर तीन दिवसीय गहन कार्यशाला और व्यावहारिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। पहले दिन की शुरुआत उद्घाटन समारोह के साथ हुई, जिसके बाद बैंगलोर के ओरल फिजिशियन और डेंटल सर्जन डॉ० श्रीनिवास द्वारा टी०एम०डी० में टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट एनाटॉमी, डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट प्लानिंग के परिचय पर पहला सत्र हुआ।
दूसरा सत्र आई०टी०एस० डेंटल कॉलेज के प्रोस्थोडोन्टिक्स विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ० पुनीत राज सिंह खुराना द्वारा ऑक्लूजन पर था। इसके बाद आई०टी०एस० डेंटल कॉलेज के ओरल मेडिसिन और रेडियोलॉजी की प्रोफेसर और प्रमुख डॉ० मनीषा लखनपाल शर्मा द्वारा टी०एम०डी० में सीबीसीटी इमेजिंग पर व्याख्यान दिया गया ।दिन का अंतिम सत्र रोहिणी के निजी चिकित्सक डॉ० विकास अग्रवाल द्वारा टेक स्कैन, बायो ईएमजी और टेम्पोरोमैंडिबुलर विकारों में इसके महत्व पर था।
दूसरे दिन सत्र की शुरूआत डॉ० शाजिया शादाब, फिजियोथेरेपी प्रमुख, क्लाउड नाइन हॉस्पिटल, बैंगलोर द्वारा टी०एम०डी० फिजियोथेरेपी पर एक व्याख्यान के साथ हुई। जिसमें उन्होंने सिर और गर्दन क्षेत्र की मांसपेशियों की टटोलने की विभिन्न विधियों का भी प्रदर्शन किया। इसके बाद एक मरीज का प्रदर्शन ओर ड्राई नीडलिंग और टी०एम०डी० के प्रबंधन में इसकी भूमिका पर एक व्यावहारिक सत्र आयोजित किया गया।दिन का तीसरा सत्र टी०एम०डी० में इंजोक्टिबल्स पर था, जिसमें पीजीआई रोहतक के ओरल मेडिसिन विभाग की वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ० हरनीत सिंह और डॉ० अंबिका गुप्ता ने भाग लिया। उन्होंने टीएमजे में इंजोक्टिबल्स के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न दवाओं के बारे में बताया और उसके बाद मरीजों को इंजोक्टिबल्स के बारे में बताया।तीसरे दिन की शुरूआत डॉ० अंबिका गुप्ता और डॉ० हरनीत सिंह के द्वारा ओक्लूसल स्प्लिंट्स और टी०एम०डी० के प्रबंधन में उनकी भूमिका पर व्याख्यान सत्र में हुई। इसके बाद स्प्लिंट्स पर एक व्यावहारिक सत्र हुआ जिसमें सभी प्रतिभागियों को स्पिलंट्स के निर्माण और उपयोग की विस्तृत प्रक्रिया सिखाई गई।तीनों कार्यक्रमों की शुरूआत एक समापन समारोह से हुई जिसमें सभी फैकल्टी को सम्मानित किया गया और सभी 96 प्रतिभागियों को भागीदारी प्रमाण पत्र दिए गए।

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